योगी सरकार के इकलौते मुस्लिम मंत्री दानिश आजाद अंसारी कि भाजपा के प्रति निष्ठा पूर्वक 11 सालों में की गई भाजपा के लिए मेहनत का इनाम है योगी सरकार में मंत्री बनना,

बेताब समाचार एक्सप्रेस के लिए मुस्तकीम मंसूरी की खास रिपोर्ट, 

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में सुन्नी समुदाय से दानिश आजाद अंसारी को मंत्री बना कर भाजपा ने सबको किया हैरान, 

लखनऊ, उत्तर प्रदेश सरकार के इकलौते मंत्री दानिश आजाद अंसारी नए चेहरे को अचानक मंत्री बनाकर भाजपा ने सभी राजनीतिक पंडितों को हैरान कर दिया, क्योंकि दानिश अंसारी ना तो शिया समुदाय से हैं, और ना ही दानिश अंसारी की कोई परिवारिक राजनीतिक पृष्ठभूमि है, और ना ही कभी चर्चाओं में रहे, और ना ही कभी विधानसभा का चुनाव लड़े, तो फिर भाजपा ने उन्हें मंत्री बना कर इतना बड़ा इनाम दिया आखिर क्यों? 


आइए जानते हैं 32 वर्षीय दानिश आजाद अंसारी के बारे में बलिया में पैदा हुए दानिश अंसारी लखनऊ यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट और  मास्टर्स की डिग्री हासिल की  इसी दौरान वर्ष 2011 में वह भाजपा के छात्र संघ संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए और लखनऊ यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान दानिश आजाद अंसारी मुस्लिम समाज के युवा छात्रों को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और भाजपा के साथ जोड़ने में सक्रिय भूमिका निभाने लगे, वर्ष 2017 के चुनाव में दानिश अंसारी ने भाजपा के पक्ष में जोर शोर के साथ चुनाव प्रचार किया, और प्रदेश में भाजपा सरकार बनने पर दानिश की मेहनत का उन्हें इनाम भी मिला पार्टी ने उन्हें फखरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी का सदस्य बनाया और उसके बाद उर्दू अकादमी का मेंबर भी बनाया उर्दू अकादमी के मेंबर को दर्जा राज्यमंत्री के समान माना जाता है, उसके बाद दानिश यही नहीं रुके वह लगातार पार्टी के लिए काम करते रहे, उनकी भाजपा के प्रति निष्ठा और लगन पर पार्टी बराबर नजर रखे रही दानिश की भाजपा के प्रति निष्ठा लगन एवं मेहनत को देखते हुए वर्ष 2021 में भाजपा ने उन्हें भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा का महामंत्री बना दिया परंतु 2022 के चुनाव में भाजपा की जीत के बाद किसी ने सोचा भी नहीं होगा की दानिश आजाद अंसारी मंत्रिमंडल में शामिल होंगे, अगर किसी ने सोचा था, तो सिर्फ पार्टी आलाकमान ने इसी वजह से सभी राजनीतिक पंडित भी हैरान है, क्योंकि योगी सरकार के पहले मंत्रिमंडल में मुस्लिम समाज से मोहसिन रजा को मंत्री बनाया गया था, मोहसिन रजा भाजपा की वरिष्ठ नेता रही नजमा हेपतुल्ला के रिश्तेदार बताए जाते हैं, मोहसिन रजा को मंत्री बनाए जाने के पीछे एक वजह यह भी रही कि उनका पॉलिटिकल जैक भी मजबूत था, क्योंकि उस वक्त नजमा हेपतुल्ला मणिपुर की राज्यपाल हुआ करती थी, यहां आपको बताते चलें कि वर्ष 2017 की तरह वर्ष 2022 के चुनाव में भी भाजपा ने कोई मुस्लिम कैंडिडेट नहीं उतारा था, तब यही माना जा रहा था, की मोहसिन रजा फिर से मंत्री बनाए जाएंगे, परंतु संघ और संगठन की नजर तो दानिश आजाद अंसारी  पर थी, जो पार्टी के लिए सक्रिय रुप से कार्य कर रहे थे, अगर हम भाजपा में मुस्लिम नेताओं को देखे तो मुख्तार अब्बास नकवी मोदी सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हैं, वही शाहनवाज हुसैन बिहार सरकार में मंत्री हैं, और सैयद जफर इस्लाम राज्यसभा के सदस्य हैं, भाजपा के बड़े मुस्लिम नेताओं में अधिकतर शिया समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, परंतु दानिश आजाद अंसारी सुन्नी मुसलमानों के बीच से आते हैं, यदि हम जातिगत आधार पर देखें तो अंसारी समुदाय पिछड़े वर्ग में आता है, आपको बताते चलें मुस्लिम पिछले समाज में दो बड़ी पिछड़ी जातियां अंसारी और मंसूरी की संख्या मुस्लिम पिछड़े वर्ग में 30% है, इसके अलावा अन्य पिछड़ी जातियों का राजनीतिक शोषण कांग्रेस सपा बसपा द्वारा लगातार किया जाता रहा है, गौरतलब है की सभी पार्टियां इसी पिछड़े वर्ग को रिझाने की कोशिश में है, चाहे वह मुस्लिम समुदाय से हो या फिर हिंदू समुदाय का पिछड़ा वर्ग इसलिए भाजपा को मुस्लिम पिछड़ा वर्ग में अपनी पैठ बनाने के लिए दानिश अंसारी के रूप में मजबूत विकल्प नजर आया है, आपको बताते चलें दानिश अंसारी युवा है, और भाजपा संघ की नीतियों से वाकिफ भी है, उन्हें मंत्रिमंडल में लाकर भाजपा ने मुस्लिम समुदाय के पिछड़े वर्ग को साधने की कोशिश की है, अगर भाजपा की रणनीति सफल होती है, तो आने वाले वक्त में मुस्लिम पिछड़ा वर्ग राजनीतिक सम्मान पाने के लिए भाजपा के साथ खड़ा हो जाए तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए, क्योंकि मुस्लिम समाज में अधिकतर पिछड़ी जातियों का राजनीतिक शोषण करके अब सत्ता में भागीदारी से दूर नहीं रखा जा सकेगा?

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