*कभी “रात रात भर ताउ ने डीजे पे'’ रॉकिनी गाने से वायरल हुए आज कर रहे हैं शास्त्रीय संगीत का प्रचार-प्रसार*

नई दिल्ली: रॉकीनी, हरियाणवी रॉक तथा रात रात भर ताऊ ने डीजे कहे जाना वाला गाना हरियाणा की रागिनी और रॉक संगीत का एक फ्यूजन था जिसमे देश भक्ति को जगाने और युवाओं को अपना समय व्यर्थ ना करने की प्रेरणा दी थी। यह गाना वर्ष 2015-2016 में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और देखते ही देखते इस गाने ने धूम मचा दी थी।


इस गीत के लेख व निर्देशक सूरज निर्वाण ही थे परंतु इसकी कामयाबी का श्रेय उन्होने अपने पूरे बैंड इटरनल ब्लिस व सैम वर्कशॉप को दिया है। इस गाने से सूरज ने युवाओं को नशे से बचने, अपने समय को व्यर्थ न गंवाने और अपने देश के प्रति प्रेम का संदेश दिया था। सूरज ने गाने के बोल और धुन में मनोरंजन के साथ साथ गाने में छिपे कई गहरे सन्देश दिया था। बॉलीवुड से भी कई निर्देशकों ने इस गाने को खरीदने की पेशकश की परंतु जिस सामाजिक सेवा के लिए सूरज ने यह गाया था, उसे ध्यान में रख कर उन्होंने उन लोगों से एक रुपये भी नहीं लिए। लगभग 10 वर्ष 2009 से 2019 तक सूरज सैम वर्कशॉप बैंड के अभिन्न हिस्सा रहे है। और देश भर के कई शहरों के युवाओं को अपने गानों से प्रेरित करते आये है… दिल्ली का दौलत राम कॉलेज, कोलकाता का भवानीपुर कॉलेज, मेरठ का स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, पंतनगर का जीबी पंत विश्वविद्यालय आदि कई स्कूल, कॉलेज एवं यूनिवर्सिटी के मंचो में अपनी पेशकश की हैं.. 

रॉकीनी के अतिरिकत, सूरज ने सैम वर्कशॉप के इटरनल ब्लिस बैंड में अपनी सेवा देते हुए निर्भया हत्या कांड को समर्पित 'जीने दो मुझे', तिहाड़ जेल के कैदियों को समर्पित 'दीवारों' और देश कि सेना को समर्पित 'फ़्लाइइंग स्काईज' गाने को भी शब्द और स्वर प्रदान किए, जिन्हे उन्होने  समर्पण की भावना से किया और कोई आर्थिक लाभ नहीं लिया। उस दौरान सूरज के बैंड के साथी थे: वोकल्स पर पंकज प्रजापति और भरत एरी, ड्रम पर स्वर्गीय विशिक चौधरी, लीड गिटार पर पुरस्कार निर्वान, बास गिटार पर यश भल्ला और कीबोर्ड पर गौरव गुप्ता, जिनका निस्वार्थ योगदान रहा। स्वामी राधाक्रिश्नानंद और साध्वी प्रज्ञा भारती सैम कार्यशालाओं के मुख्य समन्वयक थे, जिन्होंने अपनी निस्वार्थ सेवा और समय समर्पित किया और इस आयोजन को जन-जन तक पहुंचाया।इन गानों से प्रसिद्धि प्राप्त करने के बाद भी सूरज ने अपने मूल शास्त्रीय संगीत तबला को नहीं छोड़ा, बल्कि रॉक बैंड के शिखर को छुने के बाद त्याग कर के संगीत के एक सच्चे साधक की तरह संगीत साधना में लगे रहे और आज वह भारतीय उच्चायोग, इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र ढाका, बांग्लादेश में अपनी भारतीय कला संस्कृति का खूब प्रचार प्रसार कर रहे हैं। 

दिल्ली घराना के सूरज निर्वान इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र बंगलादेश में बच्चो को तबला वादन की शिक्षा दे रहे है. उनका कहना है की  भारतीय शास्त्रीय संगीत पुरे विश्व में प्रसिद्ध है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के इस सच्चे सार को दुनिया भर में प्रचारित किया जाना चाहिए। सूरज को भरोसा है कि भारतीय शास्त्रीय संगीत श्रोताओं की आत्मा को शुद्ध कर सकता है और उन्हें क्षणिक आंतरिक शांति प्रदान कर सकता है। सूरज निर्वाण बताते हैं की कोरोना महामरी और लाक्डाउन से पूरा कला जगत प्रभावित हुआ था,  ऐसे में हमने कई कलाकारों को अपनी संस्था ‘पंडित सुभाष निर्वान फ़ाउंडेशन’ के द्वारा ऑनलाइन न केवल मंच प्रदान किया बल्कि आर्थिक सहायता भी की। पंडित सूरज निर्वाण तबला के दिल्ली घराने की परम्परा को आगे बढाते हुए अपने उत्तरदायित्व को पूरी निष्ठा से निभा रहे हैं।

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