यूपी चुनाव से पहले जनता और सत्ता और विपक्षी दलों को लेकर विश्लेषण*
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महिपाल यादव वरिष्ठ पत्रकार |
*आगे आने वाले चुनाव में विपक्षी दलों को दोनों पिछले चुनाव से सीख लेनी होगी दिल्ली चुनाव का जिक्र इस लिए जरूरी नहीं कि केन्द्र शासित राज्य है वहां पर किसी भी पार्टी ने इतना जोर नहीं लगाया आप और बीजेपी की ही सीधे लडाई थी यूपी में दूसरे नंबर की सबसे बड़ी पार्टी है विपक्षी दल के रूप में जो बीजेपी की वापसी रोकने में सक्षम तो है पर इन ऊपर की बातों पर तवज्जो दिए बिना सत्ता में वापसी संभव नहीं है पदाधिकारी और प्रभारी भीड़ इकट्ठा करवा सकते हैं भीड़ को वोट में कैसे बदला जाए इस पर काम की जरूरत है जो गलती बिहार में विपक्षी दल जो सबसे मजबूत दावेदार के रूप में थी उसको हरा कर सत्ता पर काबिज हो गई नीतिश कुमार की रणनीति*
*सबको जानने की जरूरत है बीजेपी इतनी आसानी से सत्ता से बाहर यूपी से होने वाली नहीं उसका राज्यसभा कमजोर पड़ जायेगा और मिशन दो हजार चौबीस फंस जायेगा, रणनीति बनाकर वोट बैंक को जिसमें सेंध ना लगा सकें सत्ता पक्ष की पार्टी उस नीति पर पश्चिम बंगाल वाली पद्धति अपनानी होगी यूपी में पार्टी का कार्यकर्ता खास है पदाधिकारियों और प्रभारियों को ज्यादा विश्वास में लेकर चुनावी प्रत्याशी उतारना हार का कारण बनेगा जो 2017 में हुआ था कार्यकर्ताओं को अनदेखी कर विपक्षी दल सत्ता से बाहर गई थी समय पर्याप्त है बिहार और पश्चिम बंगाल के चुनावों से सीख लेकर विजयी रथ पर सवार हो विपक्षी दूसरे नंबर की पार्टी यूपी में*
*बस ये ख्याल रहें जनता विकास कार्यों को ज्यादा दिनों तक याद नहीं रखती वो जिस तकलीफ में है उससे कैसे बाहर करेगी विपक्षी पार्टी यूपी की उसपर काम किया जाये*
*जनता का खेल है निराला हम हैं मझधार में हमें चाहिए है सहारा उस सहारे के दम पर कांग्रेस को देश की राजनीति से बाहर किया था बीजेपी ने बस वादा खिलाफी इनको बाहर करने के लिए विपक्षियों के पास ब्रह्मास्त्र है*
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