एक हिन्दुस्तान हो,,,,,,,

 ,,,,,,,,एक हिन्दुस्तान हो,,,,,,, 

कर इबादत चाहे दिल में राम या रहमान हो। 

पर हमारे ख्वाब का मज़हब ये हिन्दुस्तान हो।।  

  

बन न पाये हम खुदा या देवता तो ग़म नहीं। 

है बहुत गर हम में जिंदा एक भी इन्सान हो।।  

 

पी ले आँसू, पढ़ ले पीड़ा, दर्द उनका बाँट ले। 

दौरे तूफाँ में मिटी जिनकी यहाँ पहचान हो।।

  

बनके रहबर मंजिलों की राह दिखलाना उन्हें।  

क्या पता भटका मुसाफिर ही कोई मेहमान हो।।  


जब भी जिस्मों जान पे, टूटे जमाने की कहर।  

ज़ख्म दिल मेंऔर लब पे, अम्न की मुस्कान हो।। 

   

है तड़पता रात दिन, देखो परिंदा सोन का।  

जब सियासत का मसीहा,मर्ज से अन्जान हो।।

 

बँट गए टुकड़ों में चाहे, दिल के अरमां दोस्तों। 

पर हमारे दिल में जिंदा, एक हिन्दुस्तान हो।।  

 

अखिलेश तिवारी डाली

बिसुहिया बल्दीराय सुल्तानपुर

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