रक्षाबंधन मनाने का मुख्य उद्देश्य क्या है मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डालते हैं

 रक्षाबंधन मनाने का मुख्य उद्देश्य क्या है मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डालते हैं

दिनांक 22/8/ 2021 मैं  देश अटूट बंधन राखी का पवित्र त्यौहार मना रहा है



इतिहासकारों के अलग-अलग मत  तथा अनेकों कहानियां हैं त्योहार मनाने की परंपराएं 6 हजार साल पहले से चली आ रही  हैं बताया जाता है रक्षाबंधन की शुरुआत राजस्थान से हुई।रक्षाबंधन श्रावण माह  पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है रीति रिवाज के हिसाब से साल में हजारों त्यौहार मनाए जाते हैं पवित्र त्योहारों का मुख्य उद्देश्य ।ऐतिहासिक सामाजिक धार्मिक सांस्कृतिक राष्ट्रीय भाईचारा अमन-चैन तरक्की सौहार्द एकता बंधन  वचन बलिदान का प्रतीक माना गया है।भाई-बहन के अटूट रिश्ते खट्टे मीठे प्यार और समर्पण मुख्य मूल   रक्षाबंधन से एक दूसरे को मजबूत करते हैं (सभी जाति धर्म के मानने वाले देवी देवता औलिया पैगंबर अवतार महापुरुष शूरवीर राजपूत राजा तथा मुगल बादशाहो ने अपना विशेष महत्व दिया है) । राजपूत जब लड़ाई पर जाते तब महिलाएं उनके माथे पर कुमकुम तिलक लगाती थी हाथ में रेशमी धागे के रूप में रक्षा सूत्र बांधती थी विश्वास था धागा लड़ाई में जीत दिलाएगा चित्तौड़गढ़ की रानी कर्णवती मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेजी हुमायूं ने कर्णवती को बहन का दर्जा दिया मध्यकाल में राजपूत और मुस्लिमों में भयंकर युद्ध चल रहा था बहादुर शाह ने मेवाड़ पर हमला कर दिया हाथी और घोड़ों की सवारियां होती थी हुमायूं का समय पर  अपनी सेना लेकर नहीं पहुंचने पर 8 मार्च 1535 को वीरांगनाओं के साथ कर्णावती ने जोहर कर लिया और अग्नि में समा गई हुमायूं के पिता बाबर को गहरा दुख हुआ हुमायूं को बहादुर शाह से जंग कर विजय हासिल कर  करणवती के बेटे  विक्रमजीत सिंह को शासक  बनाया हुमायूं ने भाई होने का वचन निभाया। कवि रविंद्र नाथ टैगोर ने इस पर्व पर बंग भंग के विरोध में जन जागरण किया एकता और भाईचारे का प्रतीक बनाया था राखी पूर्णिमा को कजरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है लोग बागवती देवी की पूजा करते हैं विष नष्ट व पुण्य देने वाला भी कहा जाता है राखी बांधने से बुरे ग्रह कटते हैं अधिष्ठात्री देवी द्वारा ग्रह दृष्टि निवारण के लिए महर्षि द्वारसा ने रक्षाबंधन का विधान किया पौराणिक कथा के अनुसार  इंद्र देव व राक्षसों में 12 साल तक  युद्ध रोकने के लिए इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने पति की रक्षा व विजय के लिए इंद्रदेव के हाथ में वैदिक मंत्रों से अभिमंत्रित रक्षा सूत्र बांधा वह दिन पूर्णिमा का था इंद्र के साथ सभी देवता विजय हुए तभी से इस पर्व को रक्षा कवच के रूप में मनाया जाता है। सिकंदर की पत्नी ने पति के हिंदू शत्रु पूरू को राखी बांध कर अपना भाई बनाया था युद्ध के समय सिकंदर को न मारने का वचन लिया पूरू ने बहन का वचन निभाया सिकंदर को जीवनदान दे दिया वरदान के अनुसार राजा बलि ने भगवान विष्णु को पाताल में रहने के लिए कहा महालक्ष्मी जी को जब मालूम हुआ तो पाताल पहुंच गई राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधकर भाई बना लिया रक्षा सूत्र के बदले राजा बलि ने लक्ष्मी जी से वरदान मांगने को कहा महालक्ष्मी जी ने भगवान विष्णु जी को अपने साथ ले जाने के लिए वचन मांगा बहन की रक्षा के उद्देश्य से विष्णु जी को लक्ष्मी जी के साथ भेज दिया।महाभारत में श्री कृष्ण जी ने शिशुपाल का वध किया सुदर्शन चक्र शिशुपाल का सर काट कर भगवान श्री कृष्ण जी की उंगली पर आया उंगली में जख्म होने के कारण द्रोपती ने अपनी साड़ी से कपड़ा फाड़ कर उंगली में बांधा श्री कृष्ण जी ने वचन दिया बहन मानकर रक्षा करूंगा भरी सभा में द्रोपती चीर हरण में कृष्ण जी ने द्रोपती की लाज बचाई भाई का फर्ज निभाया श्री कृष्ण जी के कहने पर  युधिष्ठिर ने  महाभारत की लड़ाई में सैनिकों  को  रक्षा सूत्र बांधा  वह दिन श्रावण पूर्णिमा था युद्ध में पांडवों को विजय बनाया कौरवों ने चक्रव्यूह का किला रचाया लड़ाई की घोषणा कर दी  अर्जुन उस मौके पर मौजूद नहीं थे अभिमन्यु की उम्र 14 साल थी दादी ने अभिमन्यु की कलाई में राखी बांधी जब तक अभिमन्यु की कलाई में राखी बंधी रही महाबलीयों को लड़ाई में मौत के घाट उतार दिया।सभी धर्मों के  त्योहारों की परंपराएं ऊर्जावान अच्छी सीख देती हैं हम सभी को समझने की जरूरत है 

सभी देशवासियों को रक्षाबंधन भाई बहन के पवित्र त्यौहार की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं


 चौधरी शौकत अली चेची 

    प्रदेश अध्यक्ष

 भाकियू (बलराज)

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