मुसलमान आतंकवादी नहीं होता, जो आतंकवादी होता है वह मुसलमान नहीं होता
शौकत अली चेची |
अपनी मेहनत के दम पर कमाने खाने वाले लोग हैं। साईकिल पंचर ठेले लगाने से लेकर भारत के राष्ट्रपति तक के पद को सुशोभित किया है।् फल बेचने से लेकर सुप्रीम कोर्ट के जज तक रहे। बिरयानी बनाने का काम करने से लेकर आईबी प्रमुख तक, होटल में खाना बनाने से लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त तक, एक तो अभी सेना प्रमुख बनने तक रह गए, किसानी से लेकर सेना में भर्ती होकर परमवीर चक्र लिया,् पदमश्री से लेकर भारत रत्न तक प्राप्त किया। मोटर वर्कशॉप का काम करने से लेकर अग्नि मिसाईल तक बनाई। हर क्षेत्र में डंका बजाया है फ़िल्म, कला, साहित्य, संगीत, आप भारत के होने की कल्पना ही नहीं कर सकते बिना मुसलमानों के और ये सब इन्होंने बिना आरक्षण, बिना सरकारी मदद और बिना भाई भतीजावाद के प्राप्त किया है। यदि असली मेरिट की बात की जाये तो वो भारत के मुसलमानों की है। लेकिन आज 74 साल के बाद भी इन्हें अपने वोट के बदले में क्या चाहिए केवल सुरक्षा, कितना सस्ता है मुसलमानों का वोट। औरत बियर बार में नंगी नाचे तो किसी को कोई तकलीफ नहीं, बिकनी में क्लब के अंडर पोल डांस करे तो किसी को कोई तकलीफ नहीं, जिस्म के धंधे में गैर मर्दो के साथ सोये तो किसी को कोई तकलीफ नहीं, लेकिन जब एक मुसलमान औरत नकाब से अपने जिस्म को ढांके तो पूरी दुनिया के लोगो के सीने पे सांप लोट जाता है, और कहते है इस्लाम में औरतो को आजादी नही, समझ में नहीं आता ये औरतों को बेपर्दा क्यूं करना चाहते है वाह रे मूर्खों। दुनिया की तारीख में किसने मासूमो का सबसे ज़्यादा क़त्ल किया है? हिटलर जर्मन ईसाई था, लेकिन मीडिया कभी ईसाईयों को आतंकवादी नहीं कहता। जोसफ स्टालिन ने तक़रीबन 14.5 मिलियन को तड़पा तड़पा कर मारा। माओ त्से तसुंग चीन ने 14 से 20 मिलियन का क़त्ल किया। बेनितो मुस्सोलिनी इटली ने तक़रीबन 400 हज़ार लोगो का कत्लेआम कराया। अशोक ने कलिंगा के युद्ध में बडी संख्या में लोगो का कत्लेआम किया। अम्बार्गो जिसे जॉर्ज बुश ने इराक भेजा था इराक में 1 मिलियन से ज़्यादा इंसानो की जाने ली गई जिसमे मासूम बच्चे भी शामिल थे। कत्लेआम और हत्या करने कराने वाले यह सभी गैर मुस्लिम ही थे। आज देखा जाता है के ग़ैर मुस्लिम समाज में जिहाद के नाम से एक डर और दहशत बनी हुई है लेकिन मीडिया सच्चाई को छुपा कर झूठ सामने लाता है, जिहाद एक अरबी का शब्द है और अरबी के शब्द जहादा से बना है, जिसका मतलब बुराई यानी नाइंसाफी के खिलाफ आवाज़ उठाना है अर्थात इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ना, जिहाद मासूमो व बेगुनाहो की जान लेना या क़त्ल करना हरगिज़ नहीं है। पहली आलमी जंग फर्स्ट वर्ल्ड वॉर 1930 के दशक में जिसमे करीब 17 मिलियन मौते हुई। दूसरी आलमी जंग सेकंड वर्ल्ड वॉर 1939 .1945 जिसमे करीब 50 से 55 मिलियन मौते हुई। नागासाकी हिरोशिमा एटॉमिक हमले जिसमे करीब 2 लाख लोगो की जाने गईं ये हमले अमेरिका द्वारा किए गए। वियतनाम की लड़ाई में करीब 5 मिलियन लोग मारे गए। बोस्निया/कोसोवो की लड़ाई में तक़रीबन 5 लाख लोग मारे गए। इराक की जंग में अब तक 1 करोड़ 20 लाख जाने गई। 1975.1979 तक कंबोडिया में तक़रीबन 3 मिलियन जाने गईं। यह सभी गैर मुस्लिमों द्वारा किया गया। अफ़ग़ानिस्तान, सीरिया, फिलिस्तीन और बर्मा में लोग मारे जा रहे हैं क्या ये सब मुसलमानों ने किया है? यह दोहरे चेहरे जरूर उजागर होने चाहिए। इसलिए यह भी बिल्कुल सच है कि मुसलमान आतंकवादी नहीं है और जो आतंकवादी है वो मुस्लमान नहीं है। मीडिया गलत हाथों में जाकर किस कारण कठपुतली बनी हुई है लोगों तक गलत जानकारी पहुंचाती है समझने का विषय है। जय जवान, जय किसान, भारत देश दुनिया में महान, अमन चैन तरक्की, भाईचारे के लिए जागरूकता पक्की।
Shaukat Ali chechi Uttar Pradesh Adhyaksh Bhartiya Kisan Union Balraj Sangathan
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