JEE, NEET व अन्य एंट्रेंस परीक्षाओं के आयोजन के निश्चित टाइम टेबल तुरंत जारी किए जाएं: एसआईओ



एस. ज़ेड. मलिक (पत्रकार)


नई दिल्ली - भारत के कई हिस्सों में कोविड की दूसरी लहर की समीक्षा हो रही है और उसका परीक्षण हो रहा है। वहीं लोग घबराए हुए तीसरी लहर के आने की प्रतीक्षा भी कर रहे हैं। ऐसे में स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया (एसआईओ) ने JEE, NEET, CUCET द्वारा ली जाने वाली अन्य प्रवेश परीक्षाओं के लिये एक निश्चित समय सारणी जारी करने की मांग की है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' को लिखे गए एक पत्र में, एसआईओ ने यह सुझाव भी दिया है कि परीक्षार्थियों को इन प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने की अनुमति दी जानी चाहिए, तथा परीक्षा केंद्रों की संख्या में भी वृद्धि की जानी चाहिए और परीक्षाओं को कई खण्डों में आयोजित किया जाना चाहिए,ताकि इस सहूलत से छात्रों के बीच तनाव और चिंता कम किया जा सके और यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वे अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का समझौता किए बिना परीक्षाएं दे सकें।

एसआईओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सलमान अहमद ने कहा‌ कि, “कोविड-19 महामारी के दौरान, विभिन्न स्तरों पर परीक्षा आयोजित करने का मुद्दा अत्यंत ज्वलंत बन चुका है जिसे जल्द से जल्द हल किया जाना चाहिए। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उचित उपाय किए जाने चाहिए और इसे सुनिश्चित किये जाने विचार किया जाना चाहिए,ताकि शिक्षा और मूल्यांकन के महत्वपूर्ण कार्य को विद्यार्थियों की एक पूरी पीढ़ी के मानसिक और शारीरिक कल्याण हेतु किसी भी प्रकार का जोखिम पैदा किए बिना पूरा कर सके।”

संगठन ने प्रस्ताव रखा है कि अगले 3-4 महीनों में सभी परीक्षाओं को आयोजित करने की एक निश्चित समय-सारिणी जारी किया जानी चाहिए ताकि विद्यार्थी अपनी परीक्षाओं के बारे में लगातार बनी हुई चिंता की स्थिति से बाहर आ सकें। तनाव को कम करने और इन परीक्षाओं की 'make-or-break ' बनाओ या बिगाड़ो, जैसी फार्मूला को समाप्त करने के लिए विद्यार्थियों को आने वाले शैक्षणिक सत्र के लिए एक से अधिक प्रयासों की अनुमति दी जानी चाहिए और उनके सभी प्रयासों को दाख़िले के लिए पात्रता के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए।

पत्र कहता है कि सभी परीक्षा केंद्रों में कोविड-19 प्रोटोकॉल के सख़्त अनुपालन को सुनिश्चित करने के अलावा पूरे देश में परीक्षा केंद्रों की संख्या में वृद्धि करना भी ज़रूरी है। बड़ी संख्या में छात्रों द्वारा दी जाने वाली परीक्षाओं को JEE की तर्ज़ पर विभिन्न पालियों में लिया जाना चाहिए, ताकि प्रत्येक केंद्र में परीक्षार्थियों की संख्या को सीमित किया जा सके। साथ ही साथ परीक्षार्थियों और परीक्षा केंद्रों के बीच की दूरी को भी कम किये जाने पर भी विचार किया जाना‌ चाहिए।

सलमान अहमद ने कहा कि, “वर्तमान संकट ने एक बार फिर दर्शाया है कि हमारी पूरी शैक्षणिक प्रणाली कितनी हाई-स्टेक्स वार्षिक परीक्षाओं पर पूरी तरह निर्भर है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि इस तरह की प्रणाली आधारभूत और स्थिर शिक्षा को बढ़ावा देने के बजाय रटने और परीक्षाओं में प्रदर्शन पर ही सारा ज़ोर देती है। इस संबंध में हम शिक्षा मंत्रालय से छात्रों, अध्यापकों, अभिभावकों, नीति निर्माताओं व अन्य हितधारकों के साथ राष्ट्रीय स्तर पर बातचीत शुरू करने का अनुरोध करते हैं।”

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