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सावधान! खुलने वाले है घोषणा पत्र यानी वादों के पिटारे

 भारत में चुनावी वर्ष नज़दीक आते ही राजनीतिक पार्टियाँ सत्ता में आने के लिये लोक-लुभावनी घोषणाएँ करने लगती हैं, जैसे मुफ्त में बिजली-पानी, लैपटॉप, साइकिल आदि देने के वायदे करना आदि। यह प्रचलन लोकतंत्र में चुनाव लड़ने के लिये सभी को समान अवसर मिलने के मूल्य के उल्लंघन को तो दर्शाता ही है, साथ ही सत्ता में आने पर जब सरकार नागरिकों के कर से निर्मित ‘लोकनिधि’ से ही अपने वायदे पूरे करती है, तो निधि के इस दुरुपयोग से विकास की गति भी धीमी पड़ती है। अरे! तुम क्या जानो/ तुम्हारी जान और इज्जत/  बदन की खाल, मुफ्त में खिंचवाते हैं/  शोर न उठे तुम्हारे संहारो का/  दूसरा मुद्दा ले आते हैं/ आरक्षण और संविधान को भी/ मन भर गरियाते हैं/ समय समय पर/ जोर-जोर लतियाते हैं/ और तो और! समाज का दुश्मन/ तुमको ही बतलाते हैं/ इसीलिए तो चुनावी घोषणा पत्र लाते हैं/ रही सही अब सारा काम/ प्रशासन और मीडिया से करवाते हैं/ तभी तो मुद्दों से हटकर/ नई मुद्दा खड़ा करवाते हैं/ पीठ में पड़ी डंडे की मार/ उसपर भी परत चढ़ाते हैं/ तुम ठहरे सपने सजोने वाले/ कागज के लुभावने वायदों/ दारू साड़ी में बिक जाते हो/ इसीलिए तो/ चुनावी घोषणा पत्

नीरस होती, होली की मस्ती, रंग-गुलाल लगाया और हो गई होली।

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 नीरस होती, होली की मस्ती,  रंग-गुलाल लगाया और हो गई होली। पहले की होली और आज की होली में अंतर आ गया है, कुछ साल पहले होली के पर्व को लेकर लोगों को उमंग रहता था, आपस में प्रेम था। किसी के भी प्रति द्वेष भाव नहीं था। आपस में मिल कर लोग प्रेम से होली खेलते थे।  मनोरंजन के अन्य साधानों के चलते लोगों की परंपरागत लोक त्यौहारों के प्रति रुचि कम हुई है। इसका कारण लोगों के पास समय कम होना है। होली आने में महज कुछ ही दिन शेष हैं, लेकिन शहर में होली के रंग कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। एक माह तो दूर रहा अब तो होली की मस्ती एक-दो दिन भी नहीं रही। मात्र आधे दिन में यह त्योहार सिमट गया है। रंग-गुलाल लगाया और हो गई होली। जैसे-जैसे परंपराएं बदल रही हैं, रिश्‍तों का मिठास खत्‍म होता जा रहा है। -प्रियंका सौरभ होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिसे हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते रहे हैं। होली के दिन सभी बैर-भाव भूलकर एक-दूसरे से परस्पर गले मिलते थे। लेकिन सामाजिक भाईचारे और आपसी प्रेम और मेलजोल का होली का यह त्याेहार भी अब बदलाव का दौर देख रहा है। फाल्गुन की मस्ती का नजारा अब गुजरे जमाने की

शुरू होनी चाहिए पर्यावरणीय मुद्दों को मुख्यधारा में लाने की चुनावी प्रथाएं

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 राजनीतिक दलों को जलवायु परिवर्तन पर सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने और ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए स्पष्ट रूप से कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए। राजनीतिक दलों को उन कदमों के बारे में बताना चाहिए जो वे भारत पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम करने के लिए उठाएंगे। यदि भारत वैश्विक व्यवस्था में अपना उचित स्थान पाना चाहता है, और "अमृत काल" में एक सच्ची विश्व शक्ति के रूप में गिना जाना चाहता है, तो जलवायु परिवर्तन कार्यों पर इसके नेतृत्व की मांगों पर नजर रखी जाएगी। मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका पारंपरिक चुनाव तरीकों के पर्यावरणीय प्रभाव पर जोर देने, नवीन पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों पर ध्यान केंद्रित करने में हो सकती है। पर्यावरण के प्रति जागरूक चुनावी प्रथाओं को अपनाने से भारत को दुनिया भर के अन्य लोकतंत्रों के लिए एक उदाहरण स्थापित करने में मदद मिल सकती है। -प्रियंका सौरभ संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) द्वारा हाल ही में जारी वैश्विक जलवायु स्थिति रिपोर्ट ने चिंता पैदा कर दी है। रिपोर्ट के अनुसार, 2023 को आधिकारिक तौर पर ग्रह के इतिहास में सबसे गर्म वर्

युवा लड़कियों और महिलाओं में बढ़ती आत्महत्या की घटनाएं

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 घरेलू हिंसा और शराब के दुरुपयोग को कम करके पारिवारिक माहौल को बेहतर बनाने के साथ-साथ जरूरतमंद लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करने से आत्मघाती व्यवहार की घटनाओं को कम करने में प्रभावशीलता प्रदर्शित हुई है। लैंगिक समानता, स्वस्थ संबंधों को बढ़ावा देना और मानसिक स्वास्थ्य को समझने जैसे विषयों पर परिवारों और समुदायों को शिक्षित करना सर्वोपरि है। यह पहल हानिकारक रूढ़ियों को ख़त्म करने और खुले संवाद को बढ़ावा देने में सहायता करती है। प्रियंका सौरभ आत्महत्या, स्वयं के जीवन को समाप्त करने का जानबूझकर किया गया कार्य, विश्व स्तर पर एक चिंताजनक मुद्दा है। दुनिया भर में सबसे ज्यादा आत्महत्याओं का दुर्भाग्यपूर्ण रिकॉर्ड भारत के पास है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, अकेले 2022 में 1.71 लाख लोगों की आत्महत्या से मृत्यु हो गई। चिंताजनक बात यह है कि इनमें से 41% मामलों में 30 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति शामिल हैं। विशेष रूप से चिंताजनक तथ्य यह है कि आत्महत्या भारत में युवा महिलाओं के बीच मृत्यु दर का प्राथमिक कारण है। शराब और मादक द्रव्यों के सेवन को युवा आत्महत्याओं में योगदान देने वाले मह

स्कूलों की मनमानी, किताबें बनी परेशानी। *निजी स्कूल बने किताबों के डीलर तो दुकानदार बने रिटेलर।

स्कूलों द्वारा तय निजी प्रकाशकों की किताबें एनसीईआरटी की किताबों से पांच गुना तक महंगी हैं। एनसीईआरटी की 256 पन्नों की एक किताब 65 रुपये की है जबकि निजी प्रकाशक की 167 पन्नों की किताब 305 रुपये में मिल रही है। कई किताबों में तो प्रिंट रेट के ऊपर अलग से प्रिंट स्लिप चिपकाकर प्रकाशित मूल्य से कहीं अधिक वसूली की जाती है। निजी स्कूलों में कमीशन के चक्कर में हर साल किताबें बदलने के साथ अलग-अलग प्रकाशकों की महंगी किताबें लगाई जाती हैं। अभिभावक भी बच्चों के भविष्य को लेकर ज्यादा विरोध नहीं कर पाते। छोटे-छोटे बच्चों की चुनिंदा किताबें लेना अब अभिभावकों की मजबूरी बन गई हैं। निजी स्कूलों की मनमानी से माता-पिता पिस रहे हैं। सरकार, जनप्रतिनिधि प्रशासन चुप हैं?  -प्रियंका सौरभ  स्कूलों में नया सत्र शुरू होते ही अभिभावकों की परेशानी बढ़ गई है। एक से दो माह की फीस के साथ स्कूलों में डेवलपमेंट फीस के नाम पर ली जाने वाली मोटी रकम भरनी है तो कॉपी-किताब भी खरीदना है। कॉपी-किताब का सेट इतना महंगा है कि उसे खरीदने में अभिभावकों के पसीने निकले जा रहे हैं। कई निजी स्कूलों में तो पहली व आठवीं कक्षा की किताबों

पत्रकारों को रखना होगा लोगों की निजता का ख्याल

पत्रकारों को व्यक्तियों के बारे में व्यक्तिगत जानकारी प्रकाशित करने से पहले उनकी सूचित सहमति लेनी चाहिए। इससे व्यक्तियों को यह समझने में मदद मिलती है कि उनके डेटा का उपयोग कैसे किया जाएगा और कोई आपत्ति व्यक्त की जा सकेगी। पत्रकारों द्वारा व्यक्तिगत जानकारी केवल तभी एकत्र और साझा की जानी चाहिए जब वह सीधे कथा से संबंधित हो और महत्व के संदर्भ में अच्छी तरह से संतुलित हो। सनसनीखेज और लोगों की निजी जिंदगी में बेवजह ताक-झांक करने से बचना चाहिए। पत्रकार सरकार में जवाबदेही और खुलापन बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं, लेकिन उनकी सार्वजनिक सूचनात्मक जनादेश को पूरा करते समय लोगों की निजता के अधिकार को बनाए रखते हुए जिम्मेदारी से ऐसा करने की जिम्मेदारी है। -डॉ. सत्यवान सौरभ भारत ने अपना पहला व्यापक डेटा संरक्षण कानून, डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) अधिनियम 2023 पेश किया, जो व्यक्तिगत डेटा प्रोसेसिंग के लिए उपयोगकर्ता की सहमति पर निर्भर करता है। कानून डेटा एक्सेस और डिलीट जैसे मौलिक अधिकार प्रदान करता है, निगमों पर कर्तव्य लगाता है, और विवाद समाधान के लिए एक शिकायत तंत्र स्थापित करता है। बहरहाल

पशु जीवन के साथ भी हो गरिमापूर्ण व्यवहार

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 पशु क्रूरता में जानवरों के साथ दुर्व्यवहार के जानबूझकर, दुर्भावनापूर्ण कार्य और कम स्पष्ट स्थितियाँ शामिल हैं जहाँ किसी जानवर की ज़रूरतों की उपेक्षा की जाती है। जानवरों के ख़िलाफ़ हिंसा को आपराधिक हिंसा और घरेलू दुर्व्यवहार की उच्च संभावना से जोड़ा गया है। अनुच्छेद 21 में अधिकार केवल मनुष्यों को प्रदान किया गया है: लेकिन "जीवन" शब्द के विस्तारित अर्थ में अब बुनियादी पर्यावरण में गड़बड़ी के खिलाफ अधिकार शामिल है, इसका अर्थ यह होना चाहिए कि पशु जीवन के साथ भी "आंतरिक मूल्य, सम्मान और गरिमा" के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए।  इसमें कोई संदेह नहीं कि संविधान केवल मनुष्यों के अधिकारों की रक्षा करता है, लेकिन "जीवन" शब्द का अर्थ आज केवल अस्तित्व से कहीं अधिक समझा जाता है; इसका मतलब एक ऐसा अस्तित्व है जो हमें, अन्य बातों के अलावा, एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण में रहने की अनुमति देता है। -डॉ. सत्यवान सौरभ दंड संहिता में संशोधन करके, जानवरों को अनावश्यक दर्द या कष्ट देने और जानवरों को मारने या गंभीर रूप से दुर्व्यवहार करने के लिए सज़ा बढ़ा दी गई। इसमें क्रूरता के व

पीलीभीत एस एन इंटर कॉलेज ने स्कूल चलो अभियान रैली निकाली*

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 बेताब समाचार एक्सप्रेस के लिए पीलीभीत से शाहिद खान की रिपोर्ट* पीलीभीत में स्कूल चलो अभियान के अन्तर्गत स्लोगन प्रतियोगिता आयोजित की गई एवं रैली निकाली गई। रैली का शुभारम्भ कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ जावेद अहमद ने हरी झंडी दिखाकर किया। रैली कॉलेज से आयुर्वेदिक कॉलेज, खकरा पुलिस चौकी, हशमत मियां की मजार, वाले मियां, बेलों वाला चौराहा, कमल्ले चौराहा, चौक, उत्तम मिष्ठान भण्डार, पुलिस कोतवाली, धुनों वाला चौराहा से होते हुए एस एन इंटर कालेज में समाप्त हुई। रैली में छात्र/छात्राएं पढ़ेंगे पढ़ाएंगे, उन्नत देश बनाएंगे। मम्मी पापा हमें पढ़ाओ, स्कूल में जाकर नाम लिखाओ आदि नारे लगा रहे थे। बच्चों ने नारे लिखकर सुन्दर तख्तियां बनाईं। स्लोगन प्रतियोगिता में कक्षा 10 की पायल ने प्रथम, कक्षा 10 की अलीना अंसारी ने द्वितीय, कक्षा 12 के क्रिश सहगल ने तृतीय पुरस्कार प्राप्त किया। इसके अतिरिक्त कक्षा 10 की साबिया, बबली, राखी और मो अयान ने सांत्वना पुरस्कार प्राप्त किया। कल दिनांक 7/5/2024 को प्रार्थना सभा में कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ जावेद अहमद विजेता छात्र/ छात्राओं को पुरस्कृत करेंगे। रैली में छात्र छा

इंडिया गठबंधन के बरेली लोकसभा प्रत्याशी प्रवीन सिंह ऐरन का रोड शो में उमड़ी भीड़

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 Report By: Anita Devi  बरेली : सपा / इंडिया गठबंधन के बरेली लोकसभा प्रत्याशी प्रवीन सिंह ऐरन का रोड शो रविवार को प्रातः 9 बजे प्रारंभ हुआ। इसमें इंडिया गठबंधन की सभी पार्टियों के कार्यकर्ता एवं समर्थन में सपा प्रदेश महासचिव स्टार प्रचारक विधायक( पूर्व मंत्री )  अताउर्रहमान भी मौजूद रहे, बरेली के नेहरू युवा केंद्र से प्रारम्भ होकर जक्शन से कचहरी रोड, चौकी चौराहा, अय्यूब खां चौराहा, नावल्टी चौराहा, पुराना रोडवेज बस अड्डा, सिकलापुर, श्याम गंज चौराहा से शाहदाना चौराहा, ईंट पजों चौराहा से मूर्ति नर्सिंग होम होते हुए धर्म काँटा से राजेंद्र नगर चौराहा से शील चौराहा से गांधी नगर होते हुए बेग अस्पताल रोड (कोहाड़ा पीर रोड) से कोहाड़ा पीर कब्रिस्तान रोड से बानखाना होते हुए हार्ट मैन क्रासिंग वाला रोड से बी.बी.एल स्कूल से अलखनाथ रोड होते हुए चौपुला चौराहा से कुतबखाना रोड पर खलील स्कूल से नावल्टी चौरहा होते हुए अय्यूब खां चौराहा से नगर निगम होते हुए बरेली कॉलेज से संजय कम्युनिटी हाल रोड से राम पुर बाग़ डॉक्टर रवि खन्ना होते हुए प्रभा सिनेमा रोड से गंगाचरण अस्पताल के सामने जज़ेज़ कॉलोनी, सर्किट हॉ

जेकेएसएस ने चलाया प्लास्टिक मुक्त अभियान*,

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बेताब समाचार एक्सप्रेस के लिए पीलीभीत से शाहिद खान की रिपोर्ट* जनपद पीलीभीत तहसील कलीनगर क्षेत्र के ग्राम जमुनिया खास जन कल्याण सुरक्षा संघ के कार्यालय पर रविवार को सुबह दस बजे जन कल्याण सुरक्षा संघ की मासिक बैठक संपन्न हुई कार्यक्रम में पहुंचे कार्यकर्ताओं से जन कल्याण सुरक्षा संघ के ज्यादा से ज्यादा सदस्य बने पर जोर दिया संगठन के द्वारा अभी तक किए गए पूर्व में कार्यों पर चर्चा की गई संगठन के अध्यक्ष ब्रहमपाल सिंह ने  कार्यकर्ताओं से कहां कि सभी अपने-अपने क्षेत्र में स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत प्लास्टिक मुक्त जागरूकता अभियान चलाएं सिंगल यूज़ प्लास्टिक से मनुष्य पशु पक्षियों के स्वास्थ्य के लिए खरनाक साबित हो रहा है  सिंगल यूज प्लास्टिक  हमारी सेहत के साथ-साथ पर्यावरण पर बुरा असर डालता है इसके सेवन से मनुष्य पशु पक्षियों की जान खतरे में पड़ जाती है इसके इस्तेमाल पर रोक लगाई जाए प्लास्टिक मुक्त अभियान चलाकर सिंगल यूज प्लास्टिक को एक स्थान पर एकत्रित कर निपटाने का कार्य किया जाए व प्लास्टिक मुक्त अभियान के संबंध में गोष्टी व स्वच्छता कार्यक्रम का आयोजन कर गोष्ठी के माध्यम से जनता को जाग