दुनिया में दो देश एक साथ वजूद में आए थे... पाकिस्तान मुसलमानों के नाम पर और इसराइल यहूदियों के नाम पर..

रिपोर्ट- मुस्तकीम मंसूरी 

अगर ग़ौर करें तो 50 के दशक से पाकिस्तान मुशायरा और मोहब्बत के सीरियल बनाने के अलावा देवबंदी, बरेलवी ,अहले हदीस जैसे आपसी झगड़ों में मस्त है ..और अपनी सियासत व तिजारत को एक हद में कैद किए हुए है!(यही हाल भारत के मुसलमानों का भी है अरब के मुसलमानों के तो जलवे ही निराले हैं)!इज़रायल उन चीजों पर ध्यान और रिसर्च करता रहा जो दुनिया की आवश्यकता हैं,... उसकी सियासत और तिजारत पूरी दुनिया में फैली है.. और अमेरिका के साथ मिलकर दुनिया रूपी फिल्म का दूसरा बड़ा हीरो है...


मैं बार-बार कहता हूं मुसलमान अपने गरेबां में झांके और जितनी जल्दी हो सके उलमा ए सू व मफादपरस्त  नेताओं का बायकाट करे... और इस्लाम की ओर लौटे.. अपना अख़लाक, व्यवहार और किरदार सुधारे, एक दूसरे की मदद करें... दुनिया के तमाम चीजों पर रिसर्च करे.. शिक्षा ,सियासत और तिजारत पर ध्यान दे, मिशनरी काम करे.. आपसी झगड़े खत्म करें ..मुशायरा और मोहब्बत (नाजायज मोहब्बत) की कहानियों से बाहर निकल कर नौजवान दुनिया के तमाम मैदानों में फैल जाएं.. इल्म हासिल करें डॉक्टर, इंजीनियर, साइंटिस्ट, के साथ ही तालीम और तिजारत में तरक्की के नए रास्ते तलाश करें। इसके लिए सेकुलरिज्म के नाम पर गुलामी का पट्टा पहना कर लोकसभा और विधानसभाओं में मुस्लिम नुमाइंदगी को खत्म करने साजिश रचने वाले तथाकथित सेकुलर नेताओं के फरेब से निकलकर ताबेदारी नहीं भागीदारी की सोच पैदा करें? क्योंकि खुशामद और चापलूसी से मसाईल हल नहीं होते, हर मसाईल का हल तालीम तिजारत और हिस्सेदारी है।

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