गुजरात दंगों में गैंगरेप का शिकार बिलकिस बानो के दोषियों को सरकार के रिहा करने के आदेश को रद्द किया सुप्रीम कोर्ट ने,

 रिपोर्ट-मुस्तकीम मंसूरी

नई दिल्ली, गुजरात में 2002 के दंगों में गैंगरेप का शिकार हुई बिलकिस बानो और उसके परिवार के लोगों की हत्या करने वाले 11 दोषियों को गुजरात सरकार के रिहा करने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने आज रद्द कर दिया।


गौरतलब है कि गुजरात में 2002 में दंगा हुआ था इस दंगे के दौरान 11 लोगों ने मिलकर 21 साल की गर्भवती बिलकिस बानो के साथ 12 लोगों ने मिलकर गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया था। जिस समय बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप की घटना हुई थी उसे समय बिलकिस बानो पांच महीने की गर्भवती भी थी। आरोपियों ने बिल की इस बानो के साथ गैंगरेप की घटना


के साथ-साथ उसके परिवार के साथ लोगों की भी हत्या कर दी थी। जिसमें उसकी एक 3 साल की बेटी भी थी। इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने 11 दोषियों जसवंत भाई नाई, गोविंद भाई नाई, राधेश्याम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, शैलेश भट्ट, मितेश भट्ट, प्रदीप मोरधिया, बाका भाई, राजू भाई, केसर भाई, को स्पेशल

कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई थी। इसके बाद मुंबई हाई कोर्ट ने भी इन दोषियों की सजा को बरकरार रखा था। लेकिन 2022 में गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो गैंगरेप के मामले में उम्र कैद की सजा पाए गए सभी दोषियों को रिहा कर दिया था।

दोषियों की रिहाई के बाद सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को चुनौती दी गई थी। आज सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के 11 देश की रिहाई के गुजरात सरकार के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि गुजरात सरकार को रिहाई करने का अधिकार नहीं था।

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