आज ऐसे साहित्य की जरूरत है जो जनता को जगाये , सुलाये नहीं -जनवादी लेखक संघ मेरठ

  जनवादी लेखक संघ मेरठ द्वारा सरधना में आयोजित विचार गोष्ठी में संघ जनवादी लेखक संघ मेरठ के जिला सचिव मुनेश त्यागी ने कहा कि सामाजिक समरसता बनाने के लिए साहित्यकारों को आगे आना होगा। उन्होंने कहा की जन विरोधी मुद्दों पर अपनी लेखनी न चलाना और जनकल्याणकारी मुद्दों से मुख मोड़ लेना एक साहित्यिक अपराध है।


      उन्होंने कहा कि आज ऐसे लेख और कविताओं की जरूरत है जो धर्मांता और अंधर्विश्वासों की पोल खोलें और ज्ञान विज्ञान तर्क विवेक और विवेचना की मशाल जलाएं और गुमराह कर दी गई जनता को नई रोशनी दें। उन्होंने कहा कि आज ऐसे साहित्य, लेखों, कविताओं और गोष्ठियों की जरूरत है जो जनता को क्रांतिकारी विचारधारा और क्रांतिकारियों की जीवनी से परिचित करायें, उसे संगठित होने की प्रेरणा दे और उसे जनकल्याणकारी समाजवादी व्यवस्था कायम करने की ओर ले जाए।

     उन्होंने कहा कि आज सद्भावना, भाईचारे और साझी संस्कृति के मूल्यों को जनता में ले जाने की सबसे ज्यादा जरूरत है। अच्छा साहित्यकार वही होता है जो जनता की समस्याओं को और उनके दुख दर्द को अपने लेखन और कविता के द्वारा साहित्य के केंद्र में लाता है। आज की सबसे बड़ी जरूरत है कि ऐसे साहित्य की रचना की जाए जो जनता को सुलाये नहीं, बल्कि उसे जगाये, उसे ज्ञान दे, उसे वाणी जुबान और आवाज उठाना सिखाएं।

      इस अवसर पर बोलते हुए जीशान कुरैशी ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम होते रहने की सबसे ज्यादा जरूरत है। आज हमें सारे देश की जनता के लिए साहित्य रचने की जरूरत है। समाज की भलाई के लिए सारे लेखकों को एकजुट होने की और सरकारी झूठ को बेनकाब करने की आज सबसे ज्यादा जरूरत है।

    इस अवसर पर गोष्ठी का संचालन करते हुए जितेंद्र पांचाल ने कहा कि साहित्यकारों को जन मुद्दों को उठाना होगा। इसी वजह से आज साहित्यकारों की भूमिका बहुत ज्यादा बढ़ गई है। साहित्यकारों का दायित्व है कि वे समाज की बेहतरी का संदेश दें और साहित्यकार मीडिया और मोबाइल का सदुपयोग करें। गलत प्रचार और तथ्यों का जवाब देना आज के साहित्यकारों का सबसे बड़ा काम है। उन्होंने कहा कि  साहित्यकार जनविरोधी सत्ता के स्थाई विपक्षी साहित्यकार हैं। इसी के लिए हमारी कलम चलनी चाहिए। आज साहित्यकारों को समाज में फैली लूट और झूठ को देश और समाज के सामने लाने की सबसे ज्यादा जरूरत है।

      अवसर पर कविगण याकूब मोहम्मद हसन, गुलजार अहमद, शफीक, साजिद याद, अब्दुल सलाम फरीदी, डॉ ताहिर, जितेंद्र पांचाल और डॉ राम गोपाल भारतीय ने भी अपनी कविताएं पढ़ीं। डॉक्टर रामगोपाल भारतीय ने कहा कि,,,,

जिसने भी इंसानियत औलाद में डाली नहीं 

वह महज़ गुलशन का चौकीदार है माली नहीं 

तुम किसी की जाति या मजहब को छोटा मत कहो इससे बढ़कर आदमी को कोई गाली नहीं।

डॉ ताहिर ने कहा,,,,

हर सितम हर जफा गंवारा है

बस इतना कह दे कि तू हमारा है।

    नगर पालिका परिषद कार्यालय में हुई गोष्ठी में बृजपाल सिंह, प्रमोद सैनी, हिमेंद्र सैनी, पवन शर्मा, कुशल आनंद, युसूफ अंसारी, डॉक्टर कविबंधु त्यागी, डीके सिरोही, इकरामुद्दीन अंसारी, अनीस खान, डॉक्टर रविंद्र सिंह और सुनील आदि शामिल थे।

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