गाजीपुर थाना क्षेत्र के मनीपुर गांव का हाल, खूब जमकर जलाई जा रही खेतों में पराली,

रिपोर्ट-मुस्तकीम मंसूरी 

 ग्रामीणों से पराली न जलाने की चर्चा कर दायित्व से की इतिश्री

खेतों का भी नहीं किया मौका मुआयना, केवल फॉर्मेलिटी कर लौटे लेखपाल आखिर क्यों?

 फतेहपुर। गाजीपुर थाना क्षेत्र के मनीपुर गांव में सरकारी भूमि में अवैध कब्जों एवं बड़े पैमाने पर पराली जलाने की खबर प्रकाशित होने के बाद कुंभकर्णी नींद सोए लेखपाल आखिरकार जागे और बीते बृहस्पतिवार को गांव पहुंचकर ग्रामीणों से पराली न जलाने की चर्चा करते हुए अपने दायित्व से इतिश्री कर वापस लौट गए। बताते हैं कि जिस समय लेखपाल ग्रामीणों को पराली न जलाने की हिदायत दे रहे थे उस समय मौके पर गांव के प्रधान जी भी मौजूद नहीं रहे। हद तो तब हो जाती है जब लेखपाल महोदय पराली जलाने वाले खेतों का मौका मुआयना करना भी उचित नहीं समझते और केवल ग्रामीणों से चर्चा करने के बाद वापस लौट जाते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि जहाँ एक तरफ खेत पर पराली न जलाने को लेकर योगी सरकार गंभीरता से निर्देश जारी कर रही है और उस निर्देश को जमीनी स्तर पर अमली जामा पहनाने के लिए जिलाधिकारी लगातार राजस्व विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को निर्देश जारी करने के साथ ही ग्राम प्रधान व ग्राम विकास अधिकारी को भी गांव में किसी भी कीमत पर पराली ना जलाने के लिए ग्रामीणों को जागरूक करने के साथ ही ना मानने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। वहीं दूसरी तरफ लेखपाल द्वारा पराली जलाए गए खेतों का मौका मुआयना ना करना बड़ी कहानी बयां करता है...! उधर पराली जलाने के मामले पर ग्रामीणों ने बताया कि गांव में बड़े पैमाने पर धान की फसल काटने के बाद बचे पैरे को खेत में ही बड़े पैमाने पर ग्राम प्रधान के चहेतों द्वारा नष्ट किया जा रहा है, ग्रामीणों ने बताया कि गांव के रामआसरे पुत्र बेनी नामक व्यक्ति समेत अन्य लोगो द्वारा बड़े पैमाने पर पराली जलाई गई थी जिसकी शिकायत मौखिक रूप से लेखपाल से भी की गई, किंतु ग्राम प्रधान से लेखपाल की सेटिंग-गेटिंग के चलते शायद लेखपाल की भी पराली जलाने के मामले में ग्राम प्रधान के चहेतों को मौन सहमति प्राप्त हो चुकी है, जिसकी वजह से आज तक किसी के भी खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है...! इसके अलावा मनीपुर गांव में बड़े पैमाने पर ग्राम समाज की जमीन पर कब्जा कर मकान का निर्माण भी कराया गया है और इतना ही नहीं जगह-जगह मार्गों पर ग्राम प्रधान के चहेतों ने कब्जा भी कर रखा है जिसकी वजह से लोगों को जहां आने-जाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं विरोध करने पर लड़ाई- झगड़ा समेत झूठे मुकदमे में फसाने की धमकी भी दी जाती हैं। गांव का स्थानीय जनप्रतिनिधि होने के कारण स्थानीय पुलिस भी उन लोगों की कोई सुनवाई नहीं करती है...!

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