नेशनल मेडिकल कमिशन (NMC) के निर्देश के बाद IMA की मांग- जेनेरिक दवाएं लिखना अनिवार्य न करें,

बेताब समाचार एक्सप्रेस के लिए मुस्तकीम मंसूरी की रिपोर्ट,

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने मांग की कि डॉक्टरों के लिए जेनेरिक दवाएं लिखना अनिवार्य बनाने वाले नियमों को टाल दिया जाए। IMA ने भारत में बनी दवाओं के मानक को लेकर चिंता जताई है, क्योंकि इनमें 0.10% से भी कम का क्वालिटी चेक किया जाता है। दरअसल, 2 अगस्त को नेशनल मेडिकल कमीशन ने प्रोफेशनल कंडक्ट ऑफ रजिस्टर्ड मेडिकल


प्रैक्टिशनर रेगुलेशन जारी किया था। इसके तहत डॉक्टरों को प्रिस्क्रिप्शन में जेनेरिक दवाएं लिखना अनिवार्य किया गया था। ऐसा नहीं करने पर डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई और कुछ समय के लिए उनका लाइसेंस रद्द करने की बात कही गई थी।

IMA ने कहा कि अगर डॉक्टरों को ब्रांडेड दवाएं लिखने की अनुमति नहीं दी जाएगी, तो ऐसी दवाओं को लाइसेंस क्यों दिया जाना चाहिए। जेनेरिक दवाओं के लिए सबसे बड़ी पेरशानी उनकी क्वालिटी की गारंटी है। देश में अभी क्वालिटी कंट्रोल बहुत कमजोर है। जब तक सरकार बाजार में जारी सभी दवाओं की क्वालिटी का भरोसा नहीं दिला देती, तब तक इस कदम को टाल देना चाहिए।

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