सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबराॅय द्वारा लाइवमिंट में लिखे लेख पर मुस्लिम मजलिस ने जताई आपत्ति।

 बिबेक देबराॅय ने लाइवमिंट में लेख लिखकर संविधान को बदलने की मांग की है।

लखनऊ, ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस के राष्ट्रीय महासचिव मुस्तकीम मंसूरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबराॅय द्वारा अपने एक लेख में देश को नया संविधान दिए जाने की बात कही है। दरअसल बिबेक देबराॅय ने एक अखबार के लिए अपना लेख लिखा था जिसमें उन्होंने मौजूदा संविधान को पुराना बताते हुए एक नया संविधान बनाए जाने पर जोर दिया था।


जिस पर मुस्लिम मजलिस के राष्ट्रीय महासचिव मुस्तकीम मंसूरी ने कड़ी आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि देश का संविधान 26 नवंबर 1949 को तैयार हुआ था, इसके ठीक-कर दिन बाद 30 नवंबर 1949 को आरएसएस के मुख्य पात्र ऑर्गेनाइजर ने संपादकीय लिखकर संविधान की जगह मनुस्मृति की मांग की थी। मुस्तकीम मंसूरी ने कहा आर एस एस ने जनसंघ बनाई, और 1980 में जनसंघ बीजेपी बनी, बीजेपी पार्टी से मोदी पीएम है। और ‌बिबेक देबराॅय उनके आर्थिक सलाहकार हैं, बिबेक देबराॅय ने लाइवमिंट में लेख लिखकर संविधान को बदलने की मांग की है। ऐसी मांग पर अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिबेक देबराॅय पर अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की तब यह समझा जाएगा कि संविधान बदलने का विचार सरकार और पार्टी के भीतर से आ रहा है। मुस्तकीम मंसूरी ने कहा अगर 1949 का संविधान आरएसएस के मुताबिक बना होता तब शायद नरेंद्र मोदी कभी प्रधानमंत्री तो क्या मुख्यमंत्री भी नहीं बन पाते। उन्होंने कहा बिबेक देबराॅय को आर्थिक क्षेत्र का ज्ञान है, उन्हें कुछ बदलना है तो आम जनमानस की आर्थिक स्थिति को बदलकर दिखाएं, परंतु उनके द्वारा दिए गए आर्थिक सलाह से केवल मुट्ठी भर उद्योगपतियों की आर्थिक स्थिति मजबूत होते जा रही है। और आम जनमानस की आर्थिक स्थिति से बेहतर होती जा रही है। उन्होंने ‌प्रधानमंत्री सम्मान करते हुए कहा कि बिबेक देबराॅय के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करके देशवासियों को विश्वास दिलाना होगा कि देश के संविधान के साथ किसी किस्म की कोई छेड़छाड़  बर्दाश्त नहीं की जा सकती।

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