भारत की अंर्तआत्मा वर्चस्व को कुछ षड्यंत्रकारियों विदेशियों द्वारा आए दिन एस सी ओबीसी एस टी माइनॉरिटी को खतरा -गादरे*

 दिल्ली:- मणिपुर ही नहीं समस्त भारत की अंर्तआत्मा वर्चस्व को कुछ षड्यंत्रकारियों विदेशियों द्वारा आए दिन एस सी ओबीसी एस टी माइनॉरिटी को खतरा।


  बहुजन मुक्ति पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष राजुद्दीन गादरे ने मणिपुर की घटना से दुखी होते हुए कहा कि भारत देश में आये दिन मूल निवासी भारतीयों पर एक वर्ग विशेष का वर्चस्व केवल धर्म के आधार पर कायम है। इसलिए षड्यंत्रकारी पाखंडी  लोग भारत के अंदर "धार्मिक क्रांति" को सबसे अधिक डरते हैं। मुगलों और एक वर्ग विशेष का धार्मिक वर्चस्व बरकरार रखा था इसलिए एक वर्ग विशेष ने मुगलों के खिलाफ कोई स्वतंत्रता आंदोलन नहीं चलाया, लेकिन ब्रिटिशों ने जैसे ही धार्मिक सुधार शुरू किए और बौद्ध धर्म को सामने लाना शुरू किया, वैसे ही षड्यंत्रकारी पाखंडवाद सामंतवादी का वर्चस्व खत्म होने लगा और उसे बचाने के लिए ब्राह्मणों ने ब्रिटिशों के खिलाफ आंदोलन चलाया।

मि गादरे ने आगे कहा कि इस्लाम, ख्रिश्चन, जैन, शिख, धर्म षड्यंत्रकारी को परास्त नहीं कर सकते, षड्यंत्रकारी लोग SC, ST, OBC को हिंदू बनाकर उनका इस्तेमाल करते हैं और अल्पसंख्य  षड्यंत्रकारी हिंदू धर्म के नाम से शक्तिशाली बनते हैं। मणिपुर में ख्रिश्चन कुकी लोगों के खिलाफ मैतेई आदिवासियों को हिंदू बनाकर उनका इस्तेमाल RSS ने किया।

बौद्ध धर्म सामने आते ही SC, ST, OBC प्राचीन बौद्ध बनते हैं और उनका संघर्ष पाखंडियों षड्यंत्रकारियों के खिलाफ शुरू हो जाता है, जिससे ब्राह्मण अल्पसंख्य और कमजोर बनते हैं। वर्तमान हिंदू धर्म प्राचीन बौद्ध धर्म ही है और वर्तमान SC, ST, OBC प्राचीन बौद्ध लोग है। इसलिए बौद्ध धर्म सामने आते ही सभी हिंदू बौद्ध बन जाते हैं।

इसलिए मुस्लिम, ख्रिश्चन, शिख, जैन, लिंगायत इन अल्पसंख्य समुदायों ने अपने धर्म के बल पर सामने आने की बजाए बौद्ध धर्म के नेतृत्व में ब्राह्मण वर्चस्व को चुनौती देनी चाहिए| इससे हिंदू बनाम मुस्लिम, हिंदू बनाम ख्रिश्चन, हिंदू बनाम शिख, हिंदू बनाम जैन जैसी लड़ाई खत्म होगी और बौद्ध बनाम ब्राह्मण लड़ाई शुरू होगा। हमारा उद्देश्य यही है कि, सभी अल्पसंख्य धार्मिक समुदायों को एकजुट कर ब्राह्मणों के धार्मिक वर्चस्व को खत्म कर समता समानता न्याय बंधुता और स्वतंत्रता पर आधारित समाज और भारत राष्ट्र का निर्माण करना है इसलिए, सभी मुस्लिम, सिख, बौध्दिस्ट, ख्रिश्चन धार्मिक समुदायों के मूलनिवासी साथ मिलकर बहुजनों का आंदोलन सफल बनाना चाहिए|

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