केंद्रीय गृह सचिव पद पर रह चुके बेहद सख्त और ईमानदार आरके सिंह मोदी सरकार में एकमात्र ऐसे मंत्री हैं, जिन्हें आरएसएस और मोदी ने पूरी ताकत लगाकर बीजेपी में शामिल किया था|

बेताब समाचार एक्सप्रेस के लिए मुस्तकीम मंसूरी की रिपोर्ट, 

बम विस्फोट मामले में आरके सिंह ने ही पहली बार आरोपियों के संघी होने का खुलासा किया था|

लखनऊ, आरके सिंह यह बीजेपी सरकार के केंद्रीय ऊर्जा मंत्री हैं| आरके सिंह पहले केंद्रीय गृह सचिव जैसे महत्वपूर्ण पद पर रह चुके हैं| बेहद ईमानदार और सख्त अफसर रहे हैं और आज भी मोदी सरकार में एकमात्र ऐसे मंत्री हैं जिसे मोदी सहित कोई नेता ना डरा सकता है, धमका सकता है ना किसी प्रकार की बदतमीजी कर सकता है| आरके सिंह के रिटायरमेंट के बाद आर एस एस और मोदी ने पूरी ताकत लगाकर इनको बीजेपी में शामिल किया और सांसद का टिकट देकर इनका जितना भी पक्का किया और मंत्री भी बनाया|


यह सब इसलिए किया कि बम विस्फोट मामले में आरके सिंह ने ही पहली बार आरोपियों के संगी होने का खुलासा किया था| इससे पहले अधिकांश को इस बारे में कुछ पता नहीं था| केंद्रीय गृह सचिव होने के नाते उनके पास बम विस्फोट मामले में आर एस एस के लोगों के शामिल होने के पुख्ता सबूत और दस्तावेज थे| अंग्रेजी में एक कहावत है कि Keep your friends close and your enemies more closer, इसका हिंदी में अर्थ हुआ कि अपने मित्रों को तो नजदीक रखिए ही, लेकिन अपने शत्रुओं को और भी ज्यादा नजदीक रखिए| आर एस एस और मोदी ने इसी सिद्धांत पर काम करते हुए आर के सिंह सहित और भी कुछ लोगों को जमकर उपकृत किया है| इनमें अनेक जज, आईएएस, आईपीएस शामिल है और यह सिलसिला लगातार जारी है|

टू जी स्कैम, महंगाई, कोल स्कैम सहित और भी कुछ कथित घोटालों को लेकर मीडिया के हंगामे के बाद अन्ना हजारे का आंदोलन इसीलिए करवाया गया था|

टू जी केस में कुछ नहीं निकला, कॉल मामले में भी अभी तक कुछ विशेष नहीं हुआ बाकी मामले भी हवा हो चुके हैं|

मोदी और आर एस एस के हाथ अजीत डोभाल ने इंडिया अगेंस्ट करप्शन नाम से संस्था बनाई और लाखों को करप्शन के खिलाफ आंदोलन में जोड़कर यूपीए सरकार के खिलाफ आंदोलन किया| अन्ना हजारे का आंदोलन संग ही चला रहा था यह बात खुद मोहन भागवत स्वीकार कर चुके हैं|

यह सब इसलिए किया गया ताकि मोदी को पीएम बना कर वह खुद तो बचे हैं साथ में अमित शाह सहित बम विस्फोट केस में फंसे संघ के लोगों को भी बचाएं|

सरकार में आने के बाद मात्र 6 महीने में अमित शाह सोहराबुद्दीन केस से बाहर हुए, उसके बाद एक-एक करके अजमेर दरगाह, हैदराबाद की मक्का मस्जिद, समझौता एक्सप्रेस, और मालेगाव बम विस्फोट केस में धड़ाधड़ गवाह पलटने लगे| सरकार ने मकोका के तहत आरोप वापस ले लिए, और आरोपियों की जमानत हो गई| मक्का मस्जिद बम विस्फोट केस में सीबीआई कोर्ट के जज ने सुबह 11:00 बजे सभी आरोपियों को बरी किया और दोपहर 3:00 बजे नौकरी से इस्तीफा देकर घर चला गया| बाद में पता चला कि जज साहब के खुद के खिलाफ करप्शन के एक मामले में सीबीआई में जांच चल रही थी जो बरी करने के बदले में कर दी गई| समझौता एक्सप्रेस मामले में भी सभी आरोपी बरी हो गए| अजमेर दरगाह विस्फोट मामले में जरूर जयपुर की एनआईए कोर्ट ने दो आरोपियों को दोषी मानकर आजीवन कारावास की सजा दी| लेकिन यह दोनों भी कुछ ही दिनों में हाई कोर्ट से जमानत पर बाहर आ गए|

मालेगांव केस में मुख्य आरोपी प्रज्ञा सिंह बीजेपी की सांसद है और केस को जानबूझकर लटकाया जा रहा है| इस मामले के दो आरोपी आज तक गायब है और देश की कोई एजेंसी उन्हें तलाशने की कोशिश भी नहीं कर रही है|

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