नीतीश कुमार की जातीय जनगणना का जिन बिहार से चलकर अब उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर चुका है,

 

         

मुस्तकीम मंसूरी

    ओबीसी सांसद और विधायक अगर जातिगत जनगणना के समर्थन में है, तो स्पष्ट करें? 

लखनऊ,ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस के राष्ट्रीय महासचिव मुस्तकीम मंसूरी ने जातीय जनगणना के सवाल पर कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिहाज से उत्तर प्रदेश की सभी पार्टियों के लिए यह मुद्दा अहम है| क्योंकि यहां की 80 सीटें काफी हद तक दिल्ली का रास्ता तय करती है| इसलिए बीजेपी और विपक्षी दल माहौल तैयार करने में जुटे हैं, मुस्तकीम मंसूरी ने कहा कि 1977 में बीपी मंडल जो बिहार के थे| उनके नेतृत्व में बी पी मंडल कमिशन बनाया गया था| और उसने पूरे देश में घूम घूम कर 3743 जातियों कि ओबीसी के तौर पर पहचान की थी| जो 1931 की जाति आधारित गिनती के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या का 52% थे| मंडल कमीशन द्वारा अपनी रिपोर्ट मोरारजी सरकार को सौंप दी गई, जिससे पूरे देश में बवाल खड़ा हो गया था| उस समय जनसंघ के 98 एमपी के समर्थन से बनी जनता पार्टी की सरकार के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई, उधर अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में जनसंघ ( जो अब बीजेपी है) के 98 एमपी के द्वारा दबाव बनाया कि अगर मंडल कमीशन लागू करने की कोशिश की गई, तो वह सरकार गिरा देंगे| वहीं दूसरी तरफ ओबीसी के नेताओं ने भी दबाव बनाया| फलस्वरूप अटल बिहारी वाजपेई ने मोरारजी देसाई की सहमति से जनता पार्टी की सरकार गिरा दी| आज फिर जातीय जनगणना का मुद्दा गरमा रहा है जिसकी शुरुआत बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना शुरू करा कर जातीय जनगणना के मुद्दे पर ओबीसी समाज से ताल्लुक रखने वाले सांसदों और विधायकों को सत्ता या समाज को चुनने का निर्णय लेने पर मजबूर कर दिया है| यही कारण है उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में सपा के स्वामी प्रसाद मौर्या द्वारा राम चरित्र मानस का मुद्दा उठाया| और अब सपा सुप्रीमो पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को ओबीसी समाज के समर्थन में आना पड़ा| यही कारण है कि अखिलेश यादव ने स्वामी प्रसाद मौर्य को आगे करके भाजपा खेमे में बेचैनी पैदा कर दी है| और अब खुद अखिलेश यादव जातीय जनगणना की मांग को लेकर सरकार पर आक्रामक है| बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा जातीय जनगणना का जिन बिहार से चलकर उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर चुका है| जिसको लेकर भाजपा और संघ की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है| यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे हर कोई लपकने को तैयार है|

मुस्तकीम मंसूरी ने कहा यही कारण है कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को यह कहना पड़ा कि मैं इसके लिए पूरी तरह तैयार हूं,केशव मौर्य ने कहा ना तो मैं और ना ही मेरी पार्टी इस विषय पर विपक्ष में है| अब सवाल यहां यह उठता है अगर केशव प्रसाद मौर्य और उनकी पार्टी जातीय जनगणना के समर्थन में है| तो अभी तक बिहार के उदाहरण का अनुसरण क्यों नहीं किया| जहां जातिगत जनगणना की घोषणा की गई है| मुस्तकीम मंसूरी ने कहा डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य सरकार में शामिल संजय निषाद और अनुप्रिया पटेल सहित अन्य ओबीसी विधायक अगर जातिगत जनगणना के समर्थन में हैं| तो वह स्पष्ट करें कि वह ओबीसी समाज या सत्ता किसके साथ खड़े हैं| यह तो स्पष्ट करना ही होगा| मुस्तकीम मंसूरी ने कहा सरकार में शामिल ओबीसी विधायकों और सांसदों के सामने एक तरफ सत्ता है, और दूसरी तरफ समाज किसको चुनना है, यह फैसला करना किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है

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