पुलिस ने मुबारक मस्जिद के बुजुर्ग अज़ान देने वाले महबूब हसन को मारा थप्पड़ तथा चार्ट, बोर्ड और डीवीआर भी उठा ले गए।
मस्जिद में मदरसा और पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों तथा नमाज़ियों को भयभीत करने की साज़िश। पीछे पड़े हैं कुछ बेनामी तत्व।
नई दिल्ली (अनवार अहमद नूर )"मस्जिद और बच्चों के पढ़ने के ख़िलाफ़ कुछ तत्व और पुलिस बार-बार कर रही है परेशान और भयभीत" ऐसा कहना है घोंडा विधानसभा में थाना उस्मानपुर के गढ़ी मेंडो के मुस्लिमों और मुबारक मस्जिद के ज़िम्मेदारों का।

जिसमें मस्जिद में लगे कैमरों का कनेक्शन था ।मोहम्मद इदरीस ख़ान, अब्दुल सत्तार और महबूब हसन ( मस्जिद के मोअज्ज़न ) ने आज पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि इस गांव की एकमात्र मुबारक मस्जिद के पीछे कुछ बेनामी तत्व पड़े हुए हैं । वह यहां के पेश इमाम, मोअज्ज़न और नमाज़ियों को भयभीत करने का कार्य कर रहे हैं । पुलिस को बार-बार यहां भेजा जाता है लेकिन यह तत्व सामने नहीं आते। मुबारक मस्जिद और इस्लामिक एजुकेशन सेंटर के मोहम्मद यूनुस खान ने बताया कि वह मस्जिद मुबारक के केयरटेकर के रूप में भी कार्य करते हैं जबकि अन्य देखरेख करने वालों में इदरीस खान, अब्दुल सत्तार, मोहम्मद तंज़ीम शामिल हैं। मस्जिद के ज़िम्मेदारों के मोबाइल नंबर लिखकर गेट पर लगाए गए थे लेकिन उसे पुलिस वाले उठाकर ले गए, साथ ही मस्जिद के कैमरों की डीबीआर भी ले गए। हमने 112 नंबर पर कॉल की तो हमारी शिकायत दर्ज नहीं की गई लेकिन एक व्यक्ति आज़ाद अख़्तर जो अपने को पुलिस वाला ही बता रहा था यहां आकर हमें समझा-बुझाकर और कोई कार्यवाही नहीं करने को कह कर चला गया। यहां खसरा नंबर 77 में बनी मुबारक मस्जिद जो मोहम्मद साजिद से ली गई ज़मीन पर बनी है को लेकर कुछ समाज विरोधी तत्व आए दिन आतंक का वातावरण बना रहे हैं और यहां के नमाज़ियों और मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों में भय का व्याप्त करना चाह रहे हैं।
यहीं के निवासी अब्दुल सत्तार ने कहा कि इस मस्जिद में कुछ भी कार्य करने, कराने और बच्चों को पढ़ाने को लेकर कुछ बेनामी तत्व पीछे पड़े हुए हैं। वह भयभीत करना चाहते हैं और बार-बार पुलिस को भेजकर धमकाने डराने का प्रयास भी किया जा रहा है लेकिन यह कौन तत्व हैं-? इनका नाम पता कोई नहीं बताने को तैयार है।
अब्दुल सत्तार ने बताया कि मेरे लड़के मोहम्मद तालिब को कल पुलिस वाले यहां से उठाकर थाने ले गए और कई घंटे तक थाने में रखा। इसका कोई कारण उन्होंने नहीं बताया।
आपको बता दें कि हमें बताया गया कि सन 2014 से इस मुबारक मस्जिद में नमाज़ पढ़ी जा रही है। 2020 में दंगाइयों ने मस्जिद को काफ़ी नुकसान पहुंचाया था। यह मस्जिद दिल्ली वक्फ बोर्ड में भी दर्ज है। यहां के पेश इमाम क़ारी दिलशाद और मोअज्ज़न महबूब हसन को बोर्ड से पैसा भी मिलता है लेकिन अब इसमें कुछ भी सुधार या नमाज़ियों की सुविधा के लिए किया जाता है तो कुछ गुमनामी तत्व विरोध करना शुरू कर देते हैं और बार-बार पुलिस भी आती है। अभी तक इस मस्जिद में न कोई गुम्बद है और न कोई मीनार है, न ही पक्की छत है। वक्फ बोर्ड या मुस्लिम संस्थाएं भी अभी इसमें आगे आकर कुछ नहीं कर रही हैं।
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