किसान शक्ति के सामने सत्ता शक्ति हुई है, फ़ेल करना पड़ा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ऐलान तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने का

 बेताब समाचार एक्सप्रेस के लिए मुस्तकीम मंसूरी की  रिपोर्ट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीनों कृषि कानून वापस लेने के ऐलान से देश के आंदोलनकारी अन्नदाताओ की की हुई जीत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि  सरकार  नये तीनो  कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला ले चुकी है, और उसका ऐलान किया जा रहा है, प्रधानमंत्री ने अपने 18 मिनट के संबोधन में कहा कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को नेक नियत के साथ लाई थी, लेकिन हम अपनी बात किसानों को समझा नहीं पाए, आज सुबह 9:00 बजे शुरू हुआ उनका संबोधन  कोरोना के दौर में यह प्रधानमंत्री का 11 वा संबोधन था,


प्रधानमंत्री ने कहा मैंने किसानों की परेशानियों और चुनौतियों को करीब से देखा है, जब देश में मुझे 2014 मैं प्रधानमंत्री के तौर पर देश की सेवा का मौका दिया, तो हमने किसान कल्याण को  प्राथमिकता दी बहुत लोग अनजान हैं कि देश के 100 में से 80 किसान छोटे किसान हैं, और उनके पास 2 हेक्टेयर से भी कम जमीन है,,इनकी संख्या 10 करोड़ से भी ज्यादा है इनकी जिंदगी का आधार पर छोटी सी जमीन का टुकड़ा है, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह किसान इसी जमीन से अपने परिवार का गुजारा करते हैं, इसलिए देश के छोटे किसानों की परेशानियों को दूर करने के लिए बाजार, बीमा, बीज, और बचत पर चौतरफा काम किया, हमने किसानों को अच्छी क्वालिटी के बीज के साथ नीम कोटेड यूरिया और स्वाइन हेल्थ कार्ड जैसी सुविधा दी इन प्रयासों से प्रोडक्शन बड़ा हमने फसल बीमा योजना से ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ा बीते 4 साल में एक लाख करोड़ से अधिक का मुआवजा किसान भाई बहनों को मिला,हम छोटे किसानों के लिए बीमा और पेंशन की सुविधा भी लाए हमने उनकी सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए उनके खातों में सीधे एक लाख बासठ हज़ार करोड रुपए ट्रांसफर किए, उन्हें उनकी उपज की सही  किमत मिले इसके लिए भी कई कदम उठाए इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर किया एमएसपी बढ़ाई इससे उपज के पिछले कई रिकॉर्ड टूट गए हैं, देश की मंडियों को इनाम योजना से जोड़कर किसानों को अपनी उपज बेचने का प्लेटफार्म दिया, कृषि मंडियों पर करोड़ों रुपए खर्च किए पहले के मुकाबले देश का कृषि बजट 5 गुना बढ़ गया है

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