चौधरी शौकत अली चेची द्वारा लिखित लेखों द्वारा गोत्र परंपरा मुख्य बिंदु समझने योग्य

चौधरी शौकत अली चेची गुर्जर मुस्लिम मुख्य व्यवसाय खेती दिलचस्पी कबड्डी कुश्ती वॉलीबॉल देहाती भजन रागनी होली  सिंगर कलाकार तथा सामाजिक सेवा इतिहास पढ़ने में रुचि  पिता किसान देहाती रागनी होली के मशहूर गायक रहे हैं।

चौधरी बशीर जी का लगभग 147 सदस्यों  वाले कुनबा के मुख्य हैं तथा पूरे परिवार में सभी 43 सदस्य हैं,,, चौधरी बसीर अली चेची जी की उम्र 90 वर्ष है पत्नी सरीफन  उर्फ नन्ही  बवनगौड  गोत्र  ब्राह्मण मुस्लिम  हैं,, उम्र 80  वर्ष है समीरा की बेटी मायका गांव बिरोडी ,बुलंदशहर ,,चौधरी बशीर जी के पांच बेटे  व दो बेटी हैं बड़े बेटे शौकीन अली  की शादी रुकमा जयसवाल गोत्र की लड़की से हुई जो ठाकुर मुस्लिम है  मिजले बेटे  शौकत अली   की शादी नूरबानो बंसल गोत्र की लड़की से हुई जो गुर्जर मुस्लिम है  मोमिन व लियाकत की शादी इरफाना व फरजाना त्यागी गोत्र की लड़कियों से हुई जो त्यागी मुस्लिम है छोटे बेटे हकीकत की शादी रिहाना जयसवाल गोत्र की लड़की से हुई जो ठाकुर मुस्लिम है बड़ी बेटी गुलशन की शादी चौधरी अकबर पंवार गोत्र के लड़के से हुई जो  जाट मुस्लिम है छोटी बेटी गुलचमन की शादी हाशिम जायसवाल गोत्र के लड़के से हुई जो ठाकुर मुस्लिम है ,, पोते अल्लाह रहम अली   ,, शौकत चेची के बेटे ,,की शादी निदा त्यागी गोत्र की लड़की से हुई जो त्यागी मुस्लिम है 

शौकत अली चेची

,,इस्लाम धर्म अपनाया आठवीं पीढ़ी चल रही है चौधरी बशीर अली चेची के परपोत्र शायान अली  चेची उम्र लगभग 4 वर्ष है,,  गोत्र परंपरा का संज्ञान  तथा भारत देश में लगभग 150 धर्मों के मानने वाले  लोग निवास कर रहे हैं सभी एक दूसरे की कड़ी से जुड़े दिखाई देते हैं

,,तभी तो भारत देश को अनेक तरह  के फूलों का गुलदस्ता जैसा कहा  गया है जो रोशनी की किरण बनकर खुशबू से चारों धाम देश को महका रहे है लेकिन कभी-कभी कुछ अनुचित बातें खुशबू को धूमिल करने की कोशिश करती है कुछ देशवासियों का नजरिया चाहे कुछ भी हो मगर हम सभी देशवासी एक ही है

झूठ गुमराह नफरत द्वेष भावना से सभी को दूर रहना चाहिए अपनी लोकप्रियता को चमकाने के लिए सहनशीलता इंसानियत मान मर्यादा भारतीय संस्कृति के साथ चलना चाहिए

,,पवित्र धर्म ग्रंथों में लिखा है कर्म ही फल है,, हर समस्या का हल है भरोसा नहीं छोड़ना चाहिए बड़ों का ज्ञान और आशीर्वाद कभी धोखा नहीं देता डर के आगे जीत बताई गई है

 मैं अपील करता हूं,, सभी देशवासी करें आपस में प्यार तरक्की हो जाएगी झूठ गुमराह नफरत तो वह चीज है इंसान तो क्या पत्थर को भी खा जाएगी,

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 हमारे  वंशजों का निकास कश्मीर से अयोध्या से पुष्कर से अजमेर से  सांभर ,राजस्थान ,से हरियाणा से, दिल्ली ,इंद्रप्रस्थ ,से हल्दौना,  तुगलपुर ,आये 

,,चौधरी लखन  राव   चेची,,  संवत 999 महीना था माह  ,,फरवरी ,,दिन मंगलवार तिथि नौमी ,,चौधरी लखन राव चेची जी ,,,ने भाट को दिया दान,,, एक घोड़ा 5  मन अन्न एक   मोहर 5 कपड़ा ,,,हल्दौना  गांव को बसें अब तक  1075 साल हो गए ,,देवता  सेडू ,, सती ,,सावल दे  व सती  सॉावरी ,

, इस्लाम धर्म कबूल करने वाले पहले पूर्वज ,,चौधरी हकीकत चेची  ,,जो गांव हल्दौना से एक मुस्लिम शिकारी के साथ दिल्ली चले गए  उस समय हकीकत की उम्र नाबालिग थी उस मुस्लिम के कोई औलाद नहीं थी पिता की तरह मुस्लिम ने अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाई  दिल्ली में हकीकत ने इस्लाम धर्म अपनाया.  लगभग  482 वर्ष हो गए तब से हकीकत  अली चेची  नाम पड़ा ,,चौधरी बशीर जी ने अपने छोटे बेटे का नाम चौधरी हकीकत अली चेची रखा , 

,हकीकत चैनसुख हरफूल तीन भाई थे जिनकी मां रतन कौर नागडन गोत्र से थी मंगत सिंह की बेटी गांव हतेवा कस्बा दनकौर,,,

,पूर्वज चौधरी हकीकत अली चेची ,की पत्नी  सैडो  नरवान गोत्र बाबू की बेटी मायका डासना कस्बा गाजियाबाद 

,,, चौधरी बसीर अली चेची पिता  सुल्ला  अली चेची,,  मां रखखी चौहान गोत्र अब्दुल की बेटी थी कस्बा बिलासपुर  दनकौर 

,,सुल्ला अली चेची   पिता निजाम खां चेची  मां  ऊंजीरन मायका कस्बा झाझर 

 ,,निजाम खा चेची पिता अली मोहम्मद 

,,अली मोहम्मद चेची पिता अहमद अली चेची,

( अहमद अली चेची पिता हकीकत चेची गूजर)

हलदोना तुगलपुर के आसपास 12 गांव  चेची गोत्र के बताए जाते  थे 4 गांव उजड़ हो गए अब सिर्फ 8 गांव हैं

गूजर हकीकत चेची की,, गांव हल्दौना,,  तुगलपुर ,,में आठवीं पीढ़ी चल रही है

गुर्जरों को 5 नामों से जाना जाता है

गुर्जर प्रतिहार भीममाल का पहला साम्राज्य 5 वी सदी में हुआ आपसी फूट के कारण 12 वीं सदी में गुर्जर साम्राज्य का पतन हो गया

गुर्जरों के लगभग 325 गोत्र बताए जाते हैं तथा 425 कन्वर्टेड बताए जाते  हैं जो अलग-अलग धर्मों को अपनाए हुए हैं कहा जाता है धर्म बदलने से जाति नहीं बदलती पहचान के लिए गोत्र मुख्य सूत्र माना जाता है धर्म परिवर्तन की परंपराएं सदियों से ही चली आ रही हैं

गुर्जरों के पूर्वजों को सूर्यवंशी व रघुवंशी भी कहा गया है  देश में लगभग 28 राज्यों में गुर्जर निवास कर रहे हैं

लगभग 13 देशों  में  गुर्जरों की अच्छी खासी  संख्या बताई गई है तथा गुजर पूर्वजों के नाम से इतिहास द्वारा शिलालेख दर्शाए और बताए गए हैं  बताया जाता है पशुओ का  पालन शुरुआत में मुख्य व्यवसाय रहा जो आज भी कायम है उसी उद्देश्य से गुजर नाम पड़ा

भारत में गुर्जर ईरान से चलकर  अफगानिस्तान से जैसलमेर से राजस्थान  तथा पूरे देश में फैल गए अफगानिस्तान व पाकिस्तान में  गुर्जरों की जनसंख्या काफी है लंबी सदी के कारण पूरी जानकारी असंभव है लगभग  5 वी सदी  से पहले गुर्जरों का ढाई गोत्र बताया  गया है   जिनमें चेची गोत्र को मुख्य माना है इस समय लगभग  750 गुर्जरों के गोत्र बताए गए हैं  चेची गोत्र कबीलाई कहा गया है जिस के वंशज भारत में ही नही,, रूस,,  चेचन  मैं भी है ओलंपिक की लेडी खिलाड़ी  ,,जूरी चेची,, विश्व में प्रसिद्ध है अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई चेची,  आदि लेख प्रकाशित है,चेची  लोर गुर्जर भगवान श्री राम जी के पुत्र लव के वंशज हैं,, मां राधा जी चेची गुर्जर थी मां गायत्री चेची गुर्जर अवतार थी जिनका अनुसरण गायत्री मंत्र में किया जाता है और सोने की लंका बनाने के बाद हवन कुंड में आहुति दी ,,राजस्थान,, पुष्कर धाम चेची  गोत्र  के पूर्वजों ने बनवाया था जो भगवान ब्रह्मा विष्णु का इकलौता मंदिर है ब्रह्मा जी की शादी चेची  गोत्र की मां सरस्वती से हुई  शांभरी  राजा चेची  अजय राज चौहान  ने अजमेर को बसाया और अजमेर पर चेचीयो  ने 700 साल राज किया

मैं भी मानता हूं सम्राट मिहिर भोज गुर्जर थे दिलचस्प यह भी है लगभग 7 bjp के ही सम्मानित नेताओं ने अलग-अलग समय अलग अलग स्थानों पर गूजर सम्राट मिहिर भोज के नाम से शिलान्यास किए हैं । सभी देशवासी मिलकर जागरूकता एकता भाईचारे की ज्योत जलाए अज्ञानता जहरीली राजनीति को दूर भगाएं

 जय जवान जय किसान 

हम सभी का भारत देश 

दुनिया में महान


 चौधरी शौकत अली चेची 

   प्रदेश अध्यक्ष 

भारतीय किसान यूनियन बलराज

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