गाजियाबाद की डासना जेल प्रशासन पर आठ बंदियों की हत्या और हर महीने तीन करोड़ रुपये की वसूली का आरोप लगा है

 गाजियाबाद की डासना जेल प्रशासन पर आठ बंदियों की हत्या और हर महीने तीन करोड़ रुपये की वसूली का आरोप लगा है। पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर और उनकी सोशल एक्टिविस्ट पत्नी नूतन ठाकुर ने मुख्यमंत्री को शिकायत भेजकर जांच की मांग की है। 



वहीं, जेल अधिकारियों का कहना है कि ट्रांसफर होने के बाद जेल के कुछ पूर्व कर्मचारी फर्जी शिकायत जारी करा रहे हैं। आरोपों को खारिज करते हुए जांच रिपोर्ट भेजी जा चुकी है।
अमिताभ ठाकुर ने बताया कि कुछ दिन पहले रजिस्टर्ड डाक के जरिये उन्हें चार पन्नों की शिकायत प्राप्त हुई। सजायाफ्ता कैदी लिखी शिकायत में गुमनाम हस्ताक्षर थे। उसमें गाजियाबाद की डासना जेल के अधिकारियों व कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। जेलर आनंद शुक्ल व हेड वार्डर शिवकुमार शर्मा का जेल में आतंक बताया गया है। 

आरोप है कि शिवकुमार शर्मा पिछले 18 वर्षों से डासना जेल पर तैनात है। पिछले कुछ ही दिनों में आठ बंदियों की हत्या की गई और उन्हें बीमारी से मौत बता दिया गया। पत्र में आरोप है कि हेड वार्डर जेल के गेट पर कभी तलाशी नहीं देते। वह और उनके चहेते जेल में बिना वर्दी के घूमते हैं। सभी ड्यूटी हेड वार्डर ही लगाते हैं। राजेंद्र पांडेय के निजी फ्लैट पर भी एक वार्डर की ड्यूटी लगाई जाती है।
  • कोरोना काल में टेलीफोन की निशुल्क सुविधा दी गई थी, लेकिन जेल में एक मिनट का 100 रुपये चार्ज वसूला जाता है।
  • जेल के बाहर मुलाकात पर्ची पर तीन प्राइवेट लोगों को बैठाया जाता है जो एक मिलाई के 100 से 500 रुपये वसूलते हैं।
  • जेल में अवैध रुप से स्पेशल कैंटीन चल रही है। जिसमें 800 रुपये प्रति थाली, 250 रुपये किलो जलेबी, दो लीटर कोल्ड ड्रिंक की बोतल 175 रुपये, आधा किलो दूध 60 रुपये, बिरयानी 200 रुपये किलो, सेब 300 रुपये किलो, केले 150 रुपये दर्जन, बीडी का मंडल 40 रुपये और गुटखा 25 रुपये में बेचा जाता है।

कमाई वाली जगह लगती है चहेतों की ड्यूटी
आरोप है कि जेल में कमाई वाली जगहों पर चहेते कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाती है। उदाहरण के लिए सर्किल पर लालाराम, मैस में जुल्फिकार अली, कमान पर चंद्रशेखर, बाहर मुलाकात पर राजेंद्र सिंह व मोहकम सिंह, हवालात पर राजकुमार शाक्य, वीडियो कांफ्रेंसिंग पर अनिल सैनी व जितेंद्र, स्पेशल कैंटीन में दीपचंद तिवारी, बाहर से अवैध माल लाने के लिए धीरेंद्र प्रताप और प्रोटोकॉल में शिकुमार शर्मा की लगातार ड्यूटी का हवाला दिया गया है।

इन बंदियों की हत्या का लगाया आरोप
  • सजायाफ्ता कैदी मोहित नंबरदार की हत्या जेल अस्पताल की खिड़की पर फंदे पर लटकाकर की गई। कोरोना पॉजिटिव होने व हार्ट अटैक से मौत दिखाई गई।
  • दुष्कर्म के मामले में आए बंदी शादाब की हत्या सत्तापक्ष के नेता के कहने पर पीट-पीटकर की गई। उसकी मौत भी हार्ट अटैक से दिखाई गई।
  • 11 जून की रात में मेरठ निवासी बंदी रविंद्र त्यागी को बैरक से निकालकर इसलिए मार डाला, क्योंकि उन्होंने शादाब की हत्या देख ली थी। रविंद्र की मौत भी हार्ट अटैक से बताई गईएक गुमनाम शिकायत पहले भी की गई थी। उसमें भी हत्या व वसूली के आरोप लगे थे। जांच में सभी आरोप गलत पाए गए। पोस्टमार्टम रिपोर्ट व अन्य दस्तावेजों के साथ जांच रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज दी गई है। हाल में ही जेल के कर्मचारियों के तबादले हुए हैं। उन्हीं में से किसी कुराफाती कर्मचारी फर्जी पत्र जारी करा रहे हैं। जेल आनंद शुक्ला का ट्रांसफर हो चुका है। हेड वार्डर शिवकुमार शर्मा की जेल के बाहर प्रोटोकॉल की ड्यूटी है। कैंटीन शासन की गाइड लाइन के मुताबिक चल रही है।
    - आलोक सिंह, अधीक्षक- डासना जेल

    जेल प्रशासन पर ही बंदियों की हत्याओं और अवैध वसूली का आरोप लगा है। अपनी जांच में वह खुद को दोषी क्यों ठहरा सकता है। हमने मुख्यमंत्री से उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। निष्पक्ष जांच में जेल की सच्चाई उजागर हो जाएगी।
    - अमिताभ ठाकुर, पूर्व आईपीएस अधिकारी
  • साभार: अमर उजाला

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