अगर 2021 की जाति जनगणना नहीं हुई तो कॉंग्रेस की तरह भाजपा भी पूरे देश से होगी साफ-गुर्जर डॉ ओमकार नाथ कटियार

 अगर 2021 की जाति जनगणना नहीं हुई तो कॉंग्रेस की तरह भाजपा भी पूरे देश से होगी साफ-गुर्जर डॉ ओमकार नाथ कटियार

भारतीय संविधान में सरदार पटेल जी द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों का आजादी के 74 बाद भी जिस चतुराई से पिछड़ों के अधिकारों का हनन अब तक की सभी केंद्रीय और समस्त राज्यों की सरकारों ने किया है वर्तमान मे प्रधान मंत्री नरेंद्र दामोदर मोदी जी भी पंडित जवाहर लाल नेहरू के पद चिन्हों पर चल दिए हैं कि सरदार पटेल द्वारा 1949 में ही 1951 की जाति जनगणना के आदेश के बावजूद सरदार पटेल जी की मौत 15-12-1950 के बाद पंडित नेहरू ने जाति जनगणना नही होने दी और यही अवधारणा कांग्रेस की 2010 तक बनी रही जो उसके विनाश का कारण बनी और 2008 में संसद में पिछड़ों की जाति जनगणना की आवाज और उसकी कड़क बहस के बाद नहीं की तब हमने 2011-12 में सुप्रीम कोर्ट में जाति आधारित जनगणना करने की अपील करके सुप्रीम कोर्ट का आदेश से दोबारा जनगणना तत्कालीन प्रधानमंत्री मंत्री मनमोहन सिंह को करवाना पड़ा सुप्रीम कोर्ट ने आगे 2021 में जाति आधारित जनगणना कराने का आदेश भी दिया जिस पर 2017 में तत्कालीन होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने 2021 की जाति जनगणना कराने का संसद में भरोसा भी दिया था जिसके कारण 2019 में भाजपा को भारी जीत दर्ज हुई फ़िर मोहन भागवत (संघ) के दबाव में मोदी नें होम मिनिस्टर अमित शाह के साथ मिलकर जाति जनगणना न कराने का फैसले ने साबित कर दिया कि मोदी जी भी पंडित जवाहर लाल नेहरू के रास्ते पर हैं ये बात अलग हैं कि जवाहर लाल नेहरू के दादा 1857 में दिल्ली में अंग्रेजो के शहर कोतवाल रह कर दिल्ली में 5 लाख से अधिक भारतीयों का कत्ल करवाया और आगरा अवध संयुक्त प्रांत में एक करोड़ से अधिक भारतीयों का नरसंहार हुआ पूरे भारत वर्ष मे 4 करोड़ से अधिक भारतीयों का नरसंहार हुआ अपने बाप दादा की गद्दारी छिपाने के लिए पंडित नेहरू ने उन ब्रिटिश विद्रोही किसान जनजाति की जनगणना जिनको अंग्रेजो ने 1871 से करानी शुरू की थी और आगे 1881,1891,1901,1911,1931 की जाति जनगणना करवाए 1921 और 1941 की जनगणना पहले और दूसरे विश्वयुद्ध के कारण नहीं हुई।


आजादी के बाद तत्कालीन होम मिनिस्टर और उप प्रधान मंत्री सरदार पटेल जी ने पहले भारत की जेलों से ढाई करोड़ ब्रिटिश विद्रोही किसान जातियों को जेल से निकाला और पहले थककर बाप्पा (1947-49) फिर अयनगर कमेटी (1949-50) का गठन करके 1951 की जाति जनगणना करवाने का आदेश दिया।
सरदार पटेल जी की मौत (15-12-1950) के बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू ने सरदार पटेल जी की सारी योजनाओं को बंद करवाए और अयनगर कमेटी की रिपोर्ट आजतक लागू नहीं किया सरदार पटेल जी द्वारा भारतीय संविधान में 27 अगस्त 1947 को पिछड़ों (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी और विमुक्ति जनजातियों) के आरक्षण को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद से बिना पूछे पंडित जवाहर लाल नेहरू प्रधान मंत्री, पंडित राजगोपाल चारी होम मिनिस्टर, पंडित गोविंद वल्लभ पंत उत्तर प्रदेश मुख्य मंत्री, पंडित श्रीकृष्ण सिंह(भूमिहार)बिहार मुख्य मंत्री, पंडित रवीन्द्र शुक्ला मध्य प्रदेश मुख्य मंत्री, पंडित जय नारायण व्यास राजस्थान मुख्य मंत्री, पंडित गोपी चंद भार्गव पंजाब मुख्य मंत्री, पंडित वेदप्रकाश सच्चर केंद्रीय मंत्री ने असंवैधानिक तरीके से बंद किया। जिसको लिए बाद में काका कालेलकर (1953-55),मंडल (1979-80)आयोग बने। इसके अलावा विमुक्ति जनजाति के लिए अबतक 15 आयोग जिनको सभी केंद्रीय सरकारों ने बनाये हैं हमारी अल हिन्द पार्टी के विमुक्ति जनजाति आरक्षण केस के आदेश पर दिल्ली हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रोहिणी आयोग 2 अक्टूबर 2017 को सिर्फ 12 सप्ताह के लिए राष्ट्रपति राम नाथ कोविद ने बना दिया पर 4 वर्ष होने वाले हैं केंद्र में बैठी मोदी सरकार जाति जनगणना कराने से भयभीत होकर बार 2 तारीख बढ़ाती जा रही है।

हमने 13 सितंबर 2008 को तत्कालीन होम मिनिस्टर सुशील कुमार शिंदे को जाति जनगणना करवाने के लिए पत्र लिखा उसके बाद अपने वरिष्ठ सोशलिस्ट साथी और भाजपा सांसद हुक्म देव नारायण सिंह यादव से संसद में बहस भी करवाए बाद में हमारे सुप्रीम कोर्ट केस से 2011-12 जाति जनगणना सम्पन्न हुई फिर भी सरकारों ने आजतक वो भी आंकड़े छिपाकर रखे हैं और मोदी सरकार भी कांग्रेस की राह पर है पर मोदी जी ये तो सोचो कि पंडित जवाहर लाल नेहरू और कॉंग्रेस ने अपने बाप दादा की गद्दारी छिपाने के लिए जाति जनगणना नहीं करवाए पर आप किसकी गद्दारी छिपाने में लगे हैं। हाँ एक बात तो समझ में आती है कि अंग्रेजो के समय में रॉयल सेक्रेट सर्विस ( आर एस एस ) जो 1925 में नाम बदल कर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ बना, 1883 में जन्म लेने वाले, जेनेवा में गदर पार्टी के श्याम जी कृष्ण वर्मा जी के दस्तावेज चुरा कर अपने नाम छापने वाले पंडित दामोदर विनायक सावरकर जो 1935 में तब अंग्रेजो से 60 रुपये पेंशन क्रान्तिकारी भारतीयों की मुखबिरी करने के ले रहा था पंडित अटलबिहारी वाजपेई 8 अगस्त 1942 को अंग्रेजो से माफी मांग चुके हैं। पर आप किनके पापो को छिपाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के 2011-12 के आदेश के बावजूद भी जाति जनगणना नहीं करवाना चाहते हैं आप की जाति किस तरह से 2002 में ओबीसी में शामिल किए और ओबीसी का वोट लेकर मुख्यमंत्री और प्रधान मंत्री भी बने आपने ओबीसी आरक्षण की कभी लड़ाई नहीं लड़े और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद भी जाति जनगणना नहीं करवाना चाहते हैं क्या यह पिछड़ों के साथ गद्दारी नहीं है?
शायद हमारे सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट केस से आपको पता चल गया हैं कि ब्रिटिश विद्रोही जनजाति किसान स्वतंत्रता सेनानी हैं और उनको स्वतंत्रता सेनानी पेंशन और मान सम्मान लागू न करना पड़े पर अब सोचने और समझने का विषय है क्या आप हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं। हम उस परिवार से हैं जिसने 1975 में तत्कालीन तानाशाह प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी से सीधे टक्कर ली इंदिरा गांधी को आपातकाल लगाने को मजबूर किया यहां तक 1977 के चुनाव में चुनाव लड़ने वालों पर 250 रुपये भी नामांकन करने के लिए नहीं थे बैंक को कोठी लगाकर सबको पैसे दिए। अगर आप चाहते है कि जाति जनगणना नहीं होगी तो मत करवाए और हमारे कन्टेमट ऑफ कोर्ट (contempt of court) का सामना करके सारे जग मे मज़ाक बनवाये जिसके जिम्मेदार सिर्फ आप ही 1979 में मोरारजी के काका कालेलकर रिपोर्ट न लागू करने और जनता पार्टी की सरकार गिरने का कारण बनी अब यही किसान बिल और पूर्व सैनिकों का आर ओ पी औऱ ओबीसी की जाति जनगणना लागू न करने की जिद भी विनाश का कारण बनने जा रही है।

आपने एक लाख सत्तर हजार बनावटी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की सीबीआई जांच नहीं करवाए, सरदार पटेल, पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय और डॉ राम मनोहर लोहिया जी की मौत की सीबीआई जांच नहीं करवाए, देश के प्रधान मंत्री होते हुए 7 साल बाद भी सरदार पटेल जी के लिए दिल्ली में कुछ नहीं किया, सरदार पटेल की हीरो से जड़ी हुई सोने की मूर्ति रिक्त क्षत्री ( जॉर्ज पंचम अँग्रेजी महाराजा) इंडिया गेट नई दिल्ली में नहीं लगवा पाए इन्डिया गेट नई दिल्ली पर बने हैदराबाद हाउस का नाम सरदार पटेल विजय भवन नहीं रख पाए, सरदार पटेल के निवास 2 ए , औरंगजेब रोड ( डॉ ए पी जे कलाम रोड ),के लिए भी कुछ नहीं कर सके हैं पर अब हम सुप्रीम कोर्ट में केस के आदेश का पालन तो अवश्य कर सकते हैं बस आपके निर्णय का इंतजार है।
1990 में जिसने भी मंडल रिपोर्ट के खिलाफ संसद में बोला था उन सबको 1991 के लोकसभा चुनाव में हरा चुके हैं सामाजिक न्याय की लड़ाई में जिस तरह आजतक संघ और भाजपा का रवैया रहा है उस नजर से न देख कर बदले समय की परख करके करे तभी गिरती साख बचा सकते है। देश के साथ छलावा कब तक करेगे एडमिशन केस 2008-10 में हमारे अलावा कौन सुप्रीम कोर्ट में पार्टी था ? पर जिस तरह मेडिकल कॉलेज में एडमिशन को लेकर जो चाल चली हैं ये बहुत ही घटिया और अशोभनीय है क्योंकि कॉंग्रेस को अगर आरक्षण देना था तो 1950 में छीनकर अबतक गुमराह क्यों करती रहीं और अन्य जो पार्टी कॉंग्रेस की पिछलग्गू बनी है उनकी भी भाजपा कांग्रेस की तरह ही कहानी है जिसको कोई मिटा नहीं सकता है।

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