वज़ीर अहमद की मौत का जिन एक साल बाद फिर आया बाहर सीएमओ कार्यालय में मचा हड़कंप।

 


 मुस्तकीम मंसूरी
 की रिपोर्ट

वजीर अहमद की कोरोना से मौत की जांच व आरटीआई द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब देने से स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन क्यों बच रहा है, और किसको बचाना चाहता है


बरेली पुराना शहर के हजियापुर निवासी वजीर अहमद की बीते साल कोरोना काल की शुरुआत में वज़ीर को कोरोना पॉजिटिव बता कर बरेली के एक बड़े नामचीन प्राइवेट अस्पताल में प्रशासन द्वारा भर्ती कराया गया था, जहां पर दवाई, खाना, पानी, की कमी के साथ ही इलाज में हुई लापरवाही के चलते वजीर अहमद की मौत हो गई, वजीर ने अपनी मौत से पहले अस्पताल में बरती जा रही इलाज में घोर लापरवाही, का वीडियो बनाकर वायरल किया था, जिसके कारण अस्पताल सहित स्वास्थ्य विभाग में भी हड़कंप मच गया था, आपको बता दें, कोरोना के नाम पर जनपद बरेली में वजीर की पहली मौत हुई थी, वायरल वीडियो के आधार पर ही मृतक वजीर की पत्नी ने अपने पति की मौत को अस्पताल प्रशासन द्वारा हत्या बताया था, क्योंकि मृत्यु से पूर्व वजीर ने अस्पताल में बरती जा रही लापरवाही और स्टाफ के ग़ैर जिम्मेदार रवैया की वीडियो खुद बनाकर वायरल की थी।




मृतक वजीर की फाइल फोटो

परंतु स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन ने वायरल वीडियो को गंभीरता से नहीं लिया, क्योंकि अस्पताल का मालिक प्रदेश और केंद्र की सत्ता में मजबूत रसूख रखता है, जिसके कारण स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन वायरल वीडियो को नजरअंदाज कर गया, और वजीर अहमद की अस्पताल में मौत हो गई। अब सवाल यह उठता है, स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन कि इसे लापरवाही कहें या अज्ञानता कहे, उन्होंने वजीर अहमद के शब को उसके परिवार वालों के हवाले कर दिया, जो कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन भी था, क्योंकि वजीर अहमद के कोरोना

पॉजिटिव शब को उसकी बीवी, उसके बच्चों, परिवार वालों, और दोस्तों, ने अवश्य छुआ होगा, जो कोरोना गाइडलाइन के उल्लंघन के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही नजर आई।

 वजीर अहमद के परिवार वालों ने स्थानीय कब्रिस्तान में शव को दफना दिया, वजीर अहमद की पत्नी शब के पास जोर जोर से चिल्ला कर कह रही थी, कि उसके पति की करोना कि नाम पर हत्या की गई है, मृतक की पत्नी ने जांच रिपोर्ट पर सवाल खड़े करते हुए, सीएमओ से कई सवाल पूछे, जिसका आज तक स्वास्थ्य विभाग के पास कोई जवाब नहीं है। इसी सिलसिले में आज बरेली की सोशल वर्कर इमरान हुसैन वजीर की पत्नी को अपने साथ लेकर सीएमओ दफ्तर जाकर वर्तमान सीएमओ से जांच रिपोर्ट के संबंध में जो सवाल पूछा, उससे सीएमओ सहित पूरा सीएमओ कार्यालय हैरत में है, आखिर जांच रिपोर्ट वायरल कैसे हुई, क्योंकि सवाल ही डॉक्टर तो डॉक्टर किसी के भी होश उड़ा सकता है। कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर वजीर अहमद की कोरोना की एक रिपोर्ट वायरल हुई, जिसमें दर्शाया गया है कि उसे करोना नहीं है। अब सवाल यह उठता है के स्वास्थ्य विभाग के पास ऐसी कौन सी तकनीक है, जिससे मृतक की कब्र से सैंपल लेकर रिपोर्ट जारी की गई है, इस पर सीएमओ बरेली का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया, और पीड़िता से बदसलूकी करने लगे, यहां आपको बताते चलें कोरोना जांच की सैंपल में जनपद बरेली के अंदर स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से बड़ा खेल चल रहा है, एक ही मरीज की अलग-अलग चार रिपोर्टें एक ही लैब द्वारा दी जाती है, और सीएमओ बरेली के आशीर्वाद से वह खेल आज भी बदस्तूर जारी है, जबकि लैब सील होना चाहिए थी, और लैब संचालकों के खिलाफ मुकदमा कायम होना चाहिए था, मगर बरेली में ऐसा नहीं है, यहां तो हर वह गैरकानूनी काम नर्सिंग होमों, अस्पतालों,व लैबों में किया जाता है, जिसकी कानून इजाजत नहीं देता, परंतु हमारे स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत और सीएमओ के आशीर्वाद से सब कुछ सही दर्शा दिया जाता है। आखिर क्यों?

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