सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गरीब की स्वतंत्रता, अमीर या संसाधनों से संपन्न लोगों की स्वतंत्रता से कमतर नहीं है सुप्रीम कोर्ट


 सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गरीब की स्वतंत्रता, अमीर या संसाधनों से संपन्न लोगों की स्वतंत्रता से कमतर नहीं है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने यह टिप्पणी बिहार में एक ट्रक ड्राइवर जितेंद्र कुमार को 35 दिनों तक अवैध तरीके से पुलिस कस्टडी में रखने के मामले में पांच लाख रुपये मुआवजा देने के पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बिहार सरकार की अपील पर की है। बिहार सरकार को मुआवजे की रकम को लेकर आपत्ति थी।सुनवाई के दौरान बिहार सरकार की ओर से पेश वकील ने पीठ से कहा कि हमने एक जिम्मेदार राज्य की तरह काम किया है। संबंधित थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है। अनुशासनात्मक कार्यवाही भी चल रहीइस पर पीठ ने वकील से कहा कि राज्य को इस मामले में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दाखिल ही नहीं करनी चाहिए थी। आप इसलिए सुप्रीम कोर्ट आए हैं क्योंकि आपके हिसाब से एक ट्रक चालक को पांच लाख मुवावजा बहुत अधिकहै।
पीठ ने यह भी कहा कि स्वतंत्रता के नुकसान होने पर ऐसा नहीं है कि अमीर लोगों को मुआवजा अधिक मिलना ठीक है लेकिन गरीब को अधिक मिलना ठीक नहीं है। गरीब की स्वतंत्रता, अमीर या रसूखदार लोगों की स्वतंत्रता से कम नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का ट्रक चालक को पांच लाख का मुआवजा देने का आदेश सही है।पीठ ने वकील से कहा कि क्या राज्य सरकार यह कहना चाह रही है कि पुलिस ने उसे छोड़ दिया था, लेकिन वह अपनी मर्जी से थाने में था और अपनी स्वतंत्रता का मजा ले रहा था। आप समझते हैं कि अदालत आपकी इस तर्क पर विश्वास करें। है।

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