कोरोना महामारी में लाखों लोगों की मौत के लिए मोदी सरकार और गोदी मीडिया है जिम्मेदार - मुस्तकीम मंसूरी


 ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस के राष्ट्रीय महासचिव मुस्तकीम मंसूरी ने देश में कोरोना महामारी के भयंकर रूप धारण करने और लाखों लोगों की मौत के लिए मोदी सरकार और गोदी मीडिया को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा की कोविड-19 महामारी के संदर्भ में नरेंद्र मोदी की इमेज को चमकाने के लिए देश को झूठ परोसा जा रहा है। जिसके परिणाम देश की जनता को भुगतना पड़ रहे हैं।

मुस्तकीम मंसूरी ने कहा मोदी सरकार ने वाहवाही लूटने के लिए पहले बताया कि भारत सरकार ने करीब 6 करोड़ वैक्सीन गरीब देशों को मानवता के लिए दान दे दी थी। जबकि भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने खुद बताया कि महज़ एक करोड़ के करीब वैक्सीन ही दान की गई है। शेष 84 फीसद वैक्सीन तो व्यवसायिक करार के तहत विदेशों को दी गई है।

84 फीसद वैक्सीन उन देशों को दी गई जिन्होंने सीरम कंपनी और भारत बायोटेक को मदद की अथवा कच्चा माल दिया।

मुस्तकीम मंसूरी ने कहा केंद्र सरकार ने वैक्सीनेशन के लिए 35 हजार करोड़ का बजट पास किया था, जबकि वैक्सीन राज्यों को खुद खरीदना है। जबकि 7 गरीब राज्य तो ऐसे हैं, जिन्हें अपने बजट का 30% वैक्सीन पर खर्च करना पड़ेगा, इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि वैक्सीनेशन का केंद्रीय करण होना चाहिए और राज्यों को वितरण का कार्य सौंपा जाना चाहिए।

मुस्तकीम मंसूरी ने कहा दूसरी बात यह कि केंद्र सरकार ने वैक्सीन उत्पादन में एक पैसा तक नहीं लगाया, जबकि दोनों कंपनियों के पीएम ने दौरे किए और ऐसा बताया कि वैक्सीन का उत्पादन केंद्र सरकार कर रही है, और मोदी जी ने ही वैक्सीन की खोज की है। जबकि सच यह है की वैक्सीन की खोज और उसके उत्पादन में मोदी सरकार का कोई योगदान नहीं है। परंतु बड़े जोर शोर से टीकाकरण का उत्सव मनाया गया, लेकिन मंडप से दुल्हनी भाग गई, 1 मई से पहले राज्यों ने हाथ खड़े कर दिए जिसमें भाजपा शासित राज्य भी शामिल थे, जैसे तैसे टीकाकरण शुरू हुआ तो रजिस्ट्रेशन करा चुके लोगों को वैक्सीन के लिए स्लॉट नहीं मिल रहा था।

मुस्तकीम मंसूरी ने कहा देश में कोरोना की दूसरी लहर ने जब कोहराम मचाया तो मोदी सरकार पर सवाल उठने लगे।बदइंतज़ामी और गैरज़िम्मेदारी के आरोप लगने लगे, तब भाजपा आईटी सेल और गोदी मीडिया हरकत में आया और देश को फिर एक झूठ परोसा, और बताया गया कि मोदी जी ने राज्यों को कई बार चेताया, लेकिन राज्य लापरवाह हो गए फिर भले ही वह तर प्रदेश अथवा मध्यप्रदेश ही क्यों ना हो,

18 मार्च को राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में मोदी जी ने सभी को आगाह किया और दूसरी लहर के संदर्भ में चेताया भी। अब सवाल ये उठता है और आप भी ख़ुद सोचिए कि आखिर क्यों मोदी जी राज्यों को आगाह करने के बाद खुद पांच राज्यों के चुनावी समर में कूद गए आखिर क्यों,

मुस्तकीम मंसूरी ने कहा की यह भी बताया गया कि मार्च में केंद्र सरकार राज्यों से संवाद बनाए हुए थी, और हर संभव मदद कर रही थी, क्या देश यह नहीं जानता कि मार्च में आधी से ज्यादा केंद्र सरकार तो बंगाल के चुनाव में व्यस्त थी।

दूसरी बात यह कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन खुद मार्च के प्रथम सप्ताह में देश को बता रहे थे की महामारी खत्म हो गई है।

जब प्रतिक्रियाएं आने लगी की चुनाव की वजह से कोरोना फैला है। तो तर्क दिया गया की कोरोना तो वहां भी फैला है। जहां चुनाव नहीं हुए, तर्क बिल्कुल सही है, लेकिन अधूरा है, क्योंकि चुनावों की वजह से कोरोना की दूसरी लहर से निपटने के लिए समय रहते तैयारी नहीं हो पाई और लोगों ने भी कोरोना को गंभीरता से नहीं लिया की जब चुनाव हो रहे हैं, तो कैसा कोरोना, तीसरी लहर आएगी ही नहीं।

मुस्तकीम मंसूरी ने कहा आज देश में स्थिति यह है की ऑक्सीजन, बैड,रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी, कालाबाजारी, भ्रष्टाचार, खराब पड़े वेंटीलेटर्स,  अव्यवस्थाएं, बदइंतज़ामी, नदियों में तैरते हुए शव और उन्हें चील, कौवे, कुत्ते, नोचते हुए, लोगों को कोरोना ने कम मारा है। अव्यवस्थाओं, बंद इंतजामी और सिस्टम ने ज्यादा मारा है। इसे भीषण नरसंहार नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे।

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