शहाबुद्दीन की मौत नहीं मर्डर है, जेल प्रशासन और डाक्टरों ने मिलकर की हत्या :राजद विधायक

 शहाबुद्दीन की मौत नहीं मर्डर है, जेल प्रशासन और डाक्टरों ने मिलकर की हत्या :राजद विधायक 


मृत्यु की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।

दिल्ली गेट के कब्रिस्तान में हुआ अंतिम संस्कार। 


नई दिल्ली (शांति मिशन न्यूज़ /अनवार अहमद नूर) 

सिवान के बाहुबली शहाबुद्दीन जो चार बार सांसद रह चुके और जेल में बंद थे उनकी मौत कोरोना से हो गई है की घोषणा 1मई को करने के पश्चात न तो लाश परिजनों को दी जा रही थी और न उनके शव को सिवान बिहार ले जाने दिया गया। कई दिन की कशमकश के बाद आज असर की नमाज़ के बाद कड़े सुरक्षा प्रबंधों और पुलिस बल की तैनाती के बीच उनको यहां दिल्ली गेट कब्रिस्तान में दफना दिया गया। लेकिन कई दिन तक उनके पुत्र तथा अन्य लोगों ने लाश को प्राप्त करने के लिए बड़ी कठिनाई और मेहनत की। अंतिम संस्कार के समय कब्रिस्तान में इमरान प्रतापगढ़ी और ओखला के विधायक अमानतुल्लाह खान के अलावा मीडिया कर्मी और कई अन्य लोग भी मौजूद रहे। शहाबुद्दीन को सुपुर्द ए खाक करने के बाद कब्रिस्तान में ही लोगों का गुस्सा फूटा उन्होंने कहा कि जिस तरीके से शहाबुद्दीन की कब्र खुदी है इंशाल्लाह इसी तरीके से राजद की कब्र खुदेगी, क्योंकि ऐसे समय में भी राजद का कोई नेता गण या कोई प्रतिनिधि मौजूद नहीं था और न ही किसी ने कोई मदद की। वह पार्टी जिस के लिए शाहबुद्दीन ने अपनी ज़िंदगी खत्म कर दी वह खामोश तमाशाई बनी रही है। 

मरहूम शहाबुद्दीन के  बेटे ने बताया था कि उनके पिता की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव है और उन्हें ठीक से इलाज नहीं दिया गया। वह दिल्ली में दर दर की ठोकरें खा रहे हैं न उनको इंसाफ मिल पा रहा और न ही पिता की लाश मिल रही। कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाकर वह पिछले 2 दिनों से इंसाफ की गुहार लगा रहे थे। 

बाहुबली मोहम्मद शहाबुद्दीन की मौत के बाद प्रशासन और पुलिस पर अनेक सवाल खड़े हो रहे हैं। आरजेडी के एमएलए अख़्तर रुल इस्लाम शाहीन ने अपने बयान में कहा है कि जेल प्रशासन और डॉक्टरों ने मिलकर शहाबुद्दीन की हत्या की है इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। 

यहां नई दिल्ली आईटीओ के दिल्ली गेट के कब्रिस्तान में असर की नमाज़ के बाद बड़ी संख्या में पुलिस बल और दिल्ली पुलिस के उच्च अधिकारी कब्रिस्तान अहले इस्लाम के बाहर मौजूद रहे और उन्होंने लोगों को नमाज़ जनाजा में शरीक होने या कब्रिस्तान के अंदर जाने से रोका। सिवान के कई लोग उनसे इस बात पर बहस करते नजर आए कि उनको कब्रिस्तान में क्यों नहीं जाने दिया जा रहा, वह नमाज़ जनाजा में शरीक होना चाहते थे। इस बात पर पुलिस अधिकारियों से काफी बहस हुई लेकिन वह सिर्फ यह कहते नजर आए के 20 आदमियों की परमिशन है। उससे ज्यादा आदमी अंदर जा चुके हैं अब कोई आदमी कब्रिस्तान में नहीं जा सकता। अंदर कब्रिस्तान में बहुत सारे लोग मौजूद थे अल्लाह जाने वह कहां से आए और कितनी देर पहले से  जनाजे का यहां इंतजार कर रहे थे।

दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में भी काफी मशक्कत करने के बाद लाश को दिया गया। वहां भी लोगों को पुलिस और अस्पताल प्रशासन ने काफ़ी परेशान किया। लोगों ने जब यहां तक कहा कि हम या तो लाश लेकर जाएंगे या फिर अपनी जान देकर। तब लाश दी गई। 

शहाबुद्दीन के जनाजे में आए  कई अन्य लोगों ने शहाबुद्दीन की मौत को एक मर्डर बताते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

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