योगी सरकार कोरोना महामारी पर अपनी नाकामी को छुपाने के लिए पुलिस तंत्र का इस्तेमाल करके लोकतंत्र की हत्या करना चाहती थी। मगर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और योगी सरकार के लोकतंत्र विरोधी मंसूबों को अपने फैसले से नाकाम कर दिया।

 ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस के राष्ट्रीय महासचिव मुस्तकीम मंसूरी ने कोरोना महामारी पर सुप्रीम कोर्ट के सख्त संदेश केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही करने का पुलिस अधिकारियों को आदेश देकर लोकतंत्र में अपना तानाशाही फरमान लागू करने का जो प्रयास किया था। आज उस पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए जो आदेश दिया है। वह वास्तव में किसी भी देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को लोकतांत्रिक तरीके से लोकतंत्र को जिंदा रखने वाला संदेश है। माननीय सुप्रीम कोर्ट का संदेश सोशल मीडिया पर लिखने वालों पर न ले एक्शन नहीं तो डीजीपी पर हम करेंगे केस, सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश संविधान द्वारा भारतीय नागरिकों को लोकतंत्र में जो अधिकार दिए गए हैं। उन को सुरक्षित रखने वाला आदेश है। इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है।

मुस्तकीम मंसूरी ने कहा केंद्र सरकार विशेषकर के उत्तर प्रदेश की योगी सरकार कोरोना महामारी पर अपनी नाकामी को छुपाने के लिए पुलिस तंत्र का इस्तेमाल करके लोकतंत्र की हत्या करना चाहती थी। मगर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और योगी सरकार के लोकतंत्र विरोधी मंसूबों को अपने फैसले से नाकाम कर दिया। उन्होंने कहा उत्तर प्रदेश में तो इस वक्त योगीराज में वह कहावत चल रही है। कि ज़बर मारे, और रोने न दे। कोरोना महामारी से निबटने में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पूरी तरीके से फेल हो चुकी है। पूरे प्रदेश में कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। अस्पतालों में ऑक्सीजन नहीं है। कोरोना में लगने वाला इंजेक्शन लेना हर वाला गरीब आदमी के बस की बात नहीं है। योगी सरकार का लापरवाह स्वास्थ्य विभाग का सिस्टम मानवता भूल चुका है। कोविड-19 के अस्पतालों में बेड उपलब्ध नहीं है। कहीं मरीज बैंचों पर पड़े हैं। तो कहीं फरशों पर पड़े हैं। गोदी मीडिया सही आंकड़े नहीं दिखा रहा है। कोरोना महामारी की सही जानकारी सोशल मीडिया पर आने से केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सोशल मीडिया पर शिकंजा कस के गोदी मीडिया की तरह इस्तेमाल करने की कोशिश की परंतु सुप्रीम कोर्ट के एक ही आदेश से गोदी मीडिया और सोशल मीडिया का फर्क देश की जनता की समझ में आ गया।

मुस्तकीम मंसूरी ने कहा जो सरकार जनता के हितों की रक्षा न कर सके, जो सरकार जनता के स्वास्थ्य सुरक्षा की गारंटी ना दे सके, जिस सरकार में शमशान भूमिओ में जगह कम पड़ जाए, जिन कब्रिस्तान में लाशे रखने की जगह ना रह पाए, जिस सरकार में अस्पतालों में अंग भंग किए जाएं, उस देश व प्रदेश के मुखिया को सरकार में बने रहने का कोई नैतिक हक हासिल नहीं है। इसलिए मुस्लिम मजलिस देश के प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से नैतिकता के आधार पर इस्तीफे की मांग करते हुए देश को सेना के हवाले करने की मांग करती है। जो जनहित और देश हित में अति आवश्यक है।


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